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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
अ - बैतहसदा में एक अपाहिज का चंगा होना (यूहन्ना 5:1– 16)
1. बेतहसदा में एक अपाहिज का चंगा होना | (यूहन्ना 5:1-16)यूहन्ना 5:1-9 बहुत करके यीशु ने नौ महीने गलील में बिताये और उसके बाद आप झोपड़ियों के पर्व पर यरूशलेम गये | आप जानते थे कि राजधानी में विश्वास की लड़ाई निर्णयात्मक होगी | यधपि आप को न्याय शास्त्रियों और धार्मिक लोगों का सामना करना था, फिर भी आप ने ईमानदारी से व्यवस्था का पालन किया | जहाँ तक संभव होता आप साल में तीन बार यरूशलेम में मदिर की तीर्थयात्रा के लिये जाया करते थे (व्यवस्थाविवरण 16: 16) | शहर के बीच में एक कुण्ड था जिसके पानी को कुछ यूनानी वचनों के अनुसार एक दूत हिलाता था | हेरोदेस ने इस कुण्ड के चारों तरफ ओसारे और खंबे बनवाये थे | इस द्वार के खंडरों की हाल ही में खोज हुई है | इस निर्माण को “दया का घर” कहा जाता था जहाँ सैकड़ों अपंग व्यक्ती पड़े पड़े पानी के हिलने की प्रतीक्षा करते थे ताकी चंगे हो जायें |उनका विचार था कि पानी के हिलते ही जो कोई पहले कुण्ड में उतर जाता वह चंगा हो जाता था | यीशु इस कुण्ड के पास गये जहाँ बिमारों की भीड़ लगी हुई थी | वहां आप ने एक आदमी को देखा जो अड़तीस साल से अपाहिज़ था | वो क्रोधित और कष्ट में था | इस के अतिरिक्त वह दूसरों से घ्रणा करता था क्योंकी दया के इस घर में सब अपनी भलाई चाहते थे और किसी को इस पर तरस ना आता था | फिर भी इस अपाहिज़ ने आशा नहीं छोड़ी थी और वो अब भी इस दिव्य दया के असाधारण अवसर को पाने के लिये ठहरा था | अचानक दया का अवतार उसके सामने खड़ा हो गया और यीशु ने उस आदमी का ध्यान कुण्ड से हटा कर अपनी तरफ आकर्षित करके उसके स्वस्थ होने का उपचार आरंभ किया | तब आप ने उस अपाहिज के दिल में स्वस्थ होने की इच्छा जगाई | यीशु ने उसे अपनी भड़ास निकालने का अवसर दिया | उसने रोते हुए कहा, “यहाँ कोई मेरी चिंता नहीं करता | मैं ने कई बार स्वस्थ होने का प्रयास किया परन्तु मेरा विश्वास धुंधला पड़ गया | मुझे कोई नहीं पूछता | हो सकता है आप कुछ देर के लिये पानी के हिलने तक रुकें ताकी मुझे पानी में उतार सकें ?” मेरी कोई चिंता नहीं करता ! मेरे भाई, क्या तुम्हारी भी यही स्थिती है ? हम तुम से कहते हैं कि यीशु तुम्हारे सामने खड़े हैं और तुम्हारे बारे में पूछ ताछ करके आपने तुम्हें ढूँढ़ निकाला है | यीशु तुम्हारी सहायता कर सकते हैं और तुम्हारा उद्धार भी कर सकते हैं | इस अपाहिज को कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ | उसकी प्रश्न भरी आँखों ने यीशु की आँखों में झाँका और आपकी करुणामय आँखों ने उसके दिल में प्रेमी प्रभु में विश्वास उत्पन्न किया | जब यीशु ने इस दुर्भाग्यवश आदमी में स्वस्थ होने की उत्सुक इच्छा देखी और उसमंे यह विश्वास भी पाया कि आप उसकी सहायता कर सकते हैं तब आप ने उसे आज्ञा दी, “उठ, अपनी चटाई उठा और चल फिर |” यह दिव्य आज्ञा थी जिसके कारण असंभव, संभव हो गया | उस अपाहिज ने मसीह के वचन पर और उस शक्ती पर विश्वास किया जो आप के शरीर से निकलती है, जिसके कारण उसने अपनी हड्डियों में ऐसा अनुभव किया जैसे उनमें बिजली प्रवाह कर रही हो और उस शक्ती का भी अनुभव किया जिसने उसके शरीर में पुनर्जीवन डाल दिया और तुरन्त उसे स्वस्थ कर दिया | वो तुरन्त प्रसन्न होकर उछल पड़ा, उठ खड़ा हुआ और अपना बिस्तर अपने सर पर उठाते हुए प्रसन्न होकर चल दिया | उसके विश्वास ने मसीह के शक्तिशाली वचन को प्रभावित किया और वह तुरन्त स्वस्थ हो गया | प्रार्थना:हे प्रभु यीशु, हम आपका धन्यवाद करते हैं क्योंकी आप इस अपाहिज़ से कतरा कर चल ना दिये बल्की उसे करुणा से देखा | आप जैसे दयालु व्यक्ती के सिवा उसके पास कोई और ना था | हमारी सहायता कीजिये ताकी हम मानवीय सहायता के बजाय आप को थामे रहें | हमें आपके प्रेम के स्वरूप में बदल दीजिये ताकि हम दूसरों की सहायता करते रहें और आपकी आशीषों को उनके साथ बांट लें | प्रश्न: 37. यीशु ने बैतहसदा के कुण्ड के पास उस अपाहिज़ को किस तरह स्वस्थ किया ?
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