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Home -- Hindi -- John - 016 (The first six disciples)

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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
ब - मसीह अपने चेलों को पश्चताप के घेरे से निकाल कर शादी की खुशी में ले जाते हैं (यूहन्ना 1:19 - 2:12)

3. पहले छे चेले (यूहन्ना 1:35-51)


यूहन्ना 1:35–39
“35 दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलों में से दो जन खड़े हुए थे; 36 और उस ने यीशु पर जो जा रहा था दृष्टि करके कहा, देखो यह परमेश्वर का मेमना है | 37 जब वे दोनों चेले उस कि यह सुनकर यीशु के पीछे हो लिए | 38 यीशु ने फिरकर और उनको पीछे आते देखकर उन से कहा, तुम किस की खोज में हो ? उन्हों ने उस से कहा, हे रब्बी, अर्थात (हे गुरु) तू कहां रहता है? उस ने उन से कहा, चलो, तो देख लोगे | 39 तब उन्हों ने आकर उसके रहने का स्थान देखा, और उस दिन उसी के साथ रहे; और यह दसवें घंटे के लगभग था |”

मसीह परमेश्वर का अवतारित वचन, दिव्य व्यक्ती, स्वंय जीवन और ज्योती का सोता हैं | इस प्रकार प्रचारक यूहन्ना ने इन शब्दों में आपके व्यक्तित्व का वर्णन किया है | उन्हों ने यीशु की सेवा और कामों का वर्णन भी किया है | आप सृष्टि को बनाने वाले और सब के रक्षक हैं | आप ने हमें परमेश्वर के बारे में नया ज्ञान दिया कि वो दयालु पिता है | इसलिए वो फिर दोहराते हैं, “देखो यह परमेश्वर का मेमना है” ताकि उस उसूल के मातेहत यीशु में पाए जाने वाले सभी गुणों का सारांश पाया जाये | पद 14 में उन्हों ने मसीह के गुण और असलियत को स्पष्ट किया है जब की 29 और 33 पदों में आप कि सेवा के उद्देश को स्पष्ट किया है | “अर्थात परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उस ने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है | (2 कुरिन्थियों 5: 19) |

मसीह मनुष्य बने ताकी परमेश्वर के लिये बलिदान हों | जिसने हमारे पास और हमें सज़ा से मुक्त करने के लिये अपना पुत्र दिया | परमेश्वर यह बलिदान चाहता था और उसे आशीर्वाद के तौर पर प्रदान किया और स्वीकार किया | पौलुस के शब्दों में “ परमेश्वर ने मसीह में होकर और लोगों के पापों को हिसाब में ना लाते हुए दुनिया का अपने साथ मेल मिलाप कराने की सेवा सौंप दी |” हमारे वंश के लिये “परमेश्वर का मेमना” जैसे मुहावरे का मतलब समझना आसान बात नहीं है कयोंकी हम अपने पापों की क्षमा करने के लिये जानवरों का बलिदान नहीं करते | पुराने नियम के बलिदानों के तरीके की जानकारी रखने वाले अनुभवी व्यक्ती को इन बलिदानों में वो दिव्य उसूल दिखाई देता है जिसके बारे में खून बहाये बगैर पापों की क्षमा नहीं हो सकती | आश्चर्य की बात यह है की परमेश्वर हमें हमारे पापों की सज़ा खुद हमारा खून बहा कर नहीं देता बल्कि उसके लिये उसने अपना बेटा दे दिया | पवित्र प्रभु हम जैसे बागियों की खातिर बली हुए | परमेश्वर का पुत्र अपराधियों के पापों की खातिर बलिदान किया गया ताकी वो आसमानी पिता के धार्मिक पुत्र ठहराए जा सकें | आइये हम उसकी, उसके पुत्र और पवित्र आत्मा के साथ प्रशंसा और अराधना करें जिस ने हमें मुक्ती दी |

यूहन्ना के यह दो चेले “परमेश्वर के मेमने” के मतलब की गहराई तक ना पहुँच सके | लेकिन जिस निगाह से यूहन्ना ने परमेश्वर के मेमने को देखा उसे देखते हुए वो भी चाहते थे की यीशु को जानें जो प्रभु, दुनिया के न्यायाधीश और साथ ही साथ मानव जाती के लिये अपना बलिदान देने वाले थे | जब वो मसीह की बातें सुन रहे थे तब यह विचार उनके मन में घूम रहे थे | यीशु ने यूहन्ना के चेलों को उन से नहीं छीना बल्की यूहन्ना ने खुद उन्हें यीशु की तरफ आकर्षित किया और ये चेले भी इस स्वामी भक्ति के लिये सहमत हो गए |

मसीह ने उन की इच्छा को महसूस किया और उनके इरादे को जान लिया | उन्हों ने यीशु के प्रेम और अनुग्रह को देखा और यूहन्ना के सुसमाचार में यीशु के मुंह से निकले हुए पहले शब्द सुने : “तुम किस की खोज में हो?” प्रभु ने उनके सामने कठिन धर्मसिद्धांत नहीं रखे बल्की उन्हें अपने दिल की बातें बताने का मौक़ा दिया | भाई, तुम किस की खोज में हो? तुम्हारे जीवन का लक्ष क्या है ? क्या तुम यीशु की खोज में हो? क्या तुम मेमने के पीछे चलोगे? अपने स्कूल की परीक्षा के लिये अभ्यास करने के बदले इन महान सच्चाईयों का अभ्यास करो |

इन दो चेलों ने मसीह से अनुमति ली की वो आप के साथ आप के घर जा सकें | इन के दिलों में जिज्ञासा सड़क पर की जाने वाली बहस से ज़्यादा महान थी, क्योकी सड़क पर की भीड़ का शोर ध्यान हटा देता है | तब यीशु ने कहा, “आओ और देखो|” आप ने यह नहीं कहा, “चलो और मेरे साथ अध्ययन करो |” बल्की यह कहा, “अपनी ऑंखें खोलो तो मेरा असली व्यक्तित्व, मेरे कारनामे और मेरी शक्ती देखो गे और परमेश्वर का नया प्रतिरूप भी देख लोगे |” जो मनुष्य मसीह के नज़दीक आता है वो दुनिया का नया रूप देखता है और परमेश्वर को उसके असली व्यक्तित्व में देखता है | यीशु का दृश्य हमारे दिमाग में क्रांति लाता है | आप हमारे विचार के केन्द्र बिंदु और आशा का लक्ष बन जायेंगे | इस लिए आओ और देखो जैसा की उन दो चेलों ने किया और कुछ दिनों के बाद प्रेरितों के पास जाकर स्वीकार किया की हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के इकलौते की महिमा जो अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण है |

ये दोनों चेले यीशु के साथ रहे | महिमा के ये कुछ घंटे कितने सुंदर हैं, प्रचारक यूहन्ना ने गवाही दी कि इस मुबारक दिन का एक घंटा उनके जीवन के लिए निर्णायक था | यह तीसरा पहर था (यानी उस समय शाम के चार बजे थे) | तब प्रचारक यूहन्ना ने यीशु कि सच्चाई को पवित्र आत्मा के प्रोत्साहन से महसूस किया, क्योंकि उनके प्रभु ने उनका ईमान स्वीकार किया और उन्हें धार्मिक ठहराकर यह विश्वास दिलाया की यीशु ही वायदा किये हुए मसीह हैं | क्या मसीह कि ज्योती तुम्हारे जीवन के अन्धकार में चमकी है? क्या तुम हर समय मसीह के पीछे चलते हो?

प्रार्थना: ऐ परमेश्वर के पवित्र मेमने, हम आपकी आराधना और स्तुती करते हैं | आपने दुनिया के पाप दूर कर दिए और हमारा परमेश्वर से मेल मिलाप करा दिया | हमें त्याग ना दीजिए बल्की आपके पीछे हो लेने दीजिए | हमारे अपराध क्षमा कीजिये | आपकी महानता प्रगट कीजिये ताकी हम निष्ठा पूर्वक आपकी सेवा कर सकें |

प्रश्न:

20. यूहन्ना के दो चेले यीशु के पीछे क्यों हो लिए?

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