Waters of Life

Biblical Studies in Multiple Languages

Search in "Hindi":
Home -- Hindi -- James -- 016 (Prayer and Faith)
This page in: -- Arabic? -- Armenian -- English -- HINDI -- Indonesian -- Russian -- Yiddish

Previous Lesson

रोमियो - परमेश्वर के वचन को न केवल सुननेवाले, परन्तु उस अनुसार कार्य करने वाले बनो|
याकूब की पत्री का अध्ययन (डॉक्टर रिचर्ड थॉमस द्वारा)

अध्याय V

प्रार्थना और विश्वास (याकूब 5:13-20)


याकूब 5:13-20
13 यदि तुम में कोई दुखी हो तो वह प्रार्थना करे: यदि आनंदित हो, तो वह स्तुति के भजन गाए | 14 यदि तुम में कोई रोगी हो, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए,और वे प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिए प्रार्थना करें | 15 और विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उस को उठाकर खड़ा करेगा ; और यदि उस ने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी | 16 इसलिए तुम आपस में एक दूसरे के सामने अपने अपने पापों को मान लो; और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ; धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है | 17 एलिय्याह भी तो हमारे समान दुख-सुख भोगी मनुष्य था; और उस ने गिडगिडाकर प्रार्थना की; कि मेंह न बरसे; और साढ़े तीन वर्ष तक भूमि पर मेंह नहीं बरसा | 18 फिर उस ने प्रार्थना की, तो आकाश से वर्षा हुई, और भूमि फलवन्त हुई | 19 हे मेरे भाइयों, यदि तुम में कोई सत्य के मार्ग से भटक जाए, और कोई उस को फेर लाए | 20 तो वह यह जान ले,कि जो कोई किसी भटके हुए पापी को फेर लाएगा, वह एक प्राण को मृत्यु से बचाएगा, और अनेक पापों पर पर्दा डालेगा |

नये नियम में प्रार्थना पर दिए गये महान लेखांशों में से एक यह दिया गया है |संज्ञा और क्रिया ‘प्रार्थना’ और ‘ प्रार्थना करना ‘ सात वचनों में सात बार आया है |ध्यान रहे तीन बार ‘जो कोई’ जिन वचनों में आता है आलस्य के अलावा भावनात्मक स्तरों को अपने में समेटता है, ‘जो कोई संकट में है, ‘जो कोई खुश है’, ‘जो कोई बीमार है’| तीसरी अवस्था में यह सुझाव दिया गया है कि बुजुर्गों को बुलाया जाए और उन्हें प्रार्थना करने के लिए कहा जाए | पहली और दूसरी बार में बेन्गेल लिखते हैं हम इसे उल्टा भी कर सकते हैं और कह सकते हैं ‘यदि उदास स्तुति करे’, यदि खुश व्यक्ति प्रार्थना करे, परन्तु धर्मग्रन्थ इसकी अपेक्षा अधिक बुध्दिमान है और हमें वह देता है जिसे मानवीय दिमाग सहन कर सकता है और जूझ सकता है | खुशहाल जन स्तुति कर सकेंगे | दुख झेलनेवाले प्रार्थना करने के लिए भाग रहे हैं |

प्रार्थना, चंगाई, पश्चाताप करने और आत्मा को जीतने के बाद का कदम है | याकूब स्वयं एक बुजुर्ग के समान प्राय: ही इस प्रकार के पुरोहिताई कार्य के लिए निमंत्रित किये जाते थे | यहाँ पर दो बिन्दुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है : बीमारी को भाग्यवादी रूप में स्वीकार ना किया जाए – बाइबिल कहती है “इस बारे में कुछ करो !प्रार्थना के साथ आरम्भ करो!” (यूहन्ना 9:1,2)|

इसके आगे और, हर प्रकार की देखरेख को परमेश्वर के हाथों में दे दो ( शारीरिक बिमारियां,दुर्घटनाएं और इस प्रकार के और भी संकट )| चंगाई केवल उपदेशकीय उम्र में ही लागू नहीं होती, अगस्तीन ने समकालीन चमत्कारों की सूची को अभिलिखित किया है; बेंगल और एलिक्स ने भी इस प्रकार की साक्षी वर्तमान काल में भी दी है | आधुनिक युग में तेल,घी औषधी का उपयोग प्रार्थना में करते हैं ताकि ऐसे साधन असरदार हों | इस सबकी कुंजी है ‘प्रभु के नाम में’ | यदि बीमारी किसी विशेष पाप का परिणाम है, प्रायश्चित और क्षमा सबसे पहले आने चाहिए |

रोमियो 10:9 में मसीह के सामने सकारात्मक रूप से गलती को स्वीकार करने, या गवाही देने के बारे में दिया गया है | अन्य लोगों के सामने उनके नाम (मसीह ) को स्वीकार करना |पाप को स्वीकार करने से वातावरण साफ़ और रिश्तों में सुधार होता है | यह देखभाल करने वाले मित्र के सामने, मनुष्य की दुश्चिंताओं को व्यवस्थित करता है, जैसे ज्ञान और सहानुभूति बहुमूल्य हैं | बच्चों ने अपने पालकों के सामने अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए | यदि कोई पापी बीमार होकर बिस्तर पर है तो बुजुर्ग सही व्यक्ति हैं जो उसके पास जाएं और प्रार्थना करें | सभी ने परमेश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकार करना चाहिए | सामान्य रूप से पाप के बारे में बात करना शर्मनाक है | तो इस पुरोहिताई कार्य को अनदेखा नहीं करना चाहिए परन्तु यह उनके लिए नहीं है :

  1. जो विश्वास को बनाये नहीं रखते
  2. जो पाप से घिन नहीं करते ( कहते हैं कोई बात नहीं )
  3. जो अपने न्यायों में बहुत निर्दयी हैं

एफ . एफ . ब्रूस ने कुछ उपयोगी मार्गदर्शिकाएँ दी हैं

क)पाप परमेश्वर के विरुद्ध किया गया था-वह केवल परमेश्वर के सामने स्वीकार किया जाए |
ख)किसी व्यक्ति के विरुद्ध किया गया पाप-उस व्यक्ति के सामने स्वीकार किया जाए |
ग)गिरजाघर के विरुद्ध किया गया पाप-गिरजाघर में स्वीकार किया जाए |
घ)आम जनता के विरुद्ध किया गया पाप-आम जनता के सामने स्वीकार किया जाए |
च)खोई हुई या चोरी की हुई वस्तु उसके सही मालिक को लौटाने की क्रिया पापोस्वीकारोक्ति का मर्मस्थल है |
एफ)पुरुष, पुरुष की पापोस्वीकारोक्ति को सुनने के लिए, व महिला, महिला की पापो स्वीकारोक्ति को सुनने के लिए उत्तम रूप से उपयुक्त हैं |

एलिजा एक प्रभावी प्रार्थना का रूप है जो कार्य करती है – वह एक महिला के पास से चले गये,परमेश्वर से शिकायत की थी, आत्मदया में लोटपोट ; वह निर्दोष नहीं थे | ऐसे कुछ व्यक्ति हैं जो किसी भी बात में प्रार्थना के व्यक्तिनिष्ठ उत्तर में अविश्वास करते हैं | एलिजा के समान नहीं , प्रार्थना के द्वारा भूखे को खाना खिलाया, एक अनाथ को पुनर्जीवित और नास्तिक लोगों को विचलित कर दिया था | ऐसी शक्ति आजकल लोगों की पहुंच से बाहर है |

आत्म – विजेता : इसमें सभी शामिल हैं जो गलती करते हैं या सत्य और अच्छाई से भागते हैं | यदि कोई किसी एक को जो ईसाइयत के मार्ग से भटक गया है उसे वापस से विश्वास और आज्ञाकारिता में लाता है | अविश्वासियों का धर्मपरिवर्तन, एक पाप के जीवन से मसीह के जीवन में लाना सुधार है | क्या हम आत्माओं को बचाने की बात कर सकते हैं ? पौलुस ने 1 कुरिन्थियों के 9 में लिखा है | काल्विन ने उसका विस्तार किया है “ इससे महान कुछ भी नहीं है .....हमें इस वैभवपूर्ण कार्य को अनदेखा नहीं करना चाहिए | हमें सचेत रहना चाहिए या ऐसा ना हो ,वे आत्माएं जिनका मसीह के द्वारा उध्दार हो सकता था हमारी लापरवाही द्वारा नाश हो जाएं – परमेश्वर ने कुछ सीमा तक, उन लोगों का उध्दार हमारे हाथों में दिया था |

“यदि किसी मनुष्य के पास ज्ञान की कमी है : और स्थान की अपेक्षा हम में, औरों की देखभाल ना करने में, ना जानते हुए वे कैसे हैं , पर्याप्त प्रेम ना करने के लिए ज्ञान की कमी है ( दूसरों की सहायता करने से कई गुणा पाप ढक जाते हैं ) | आत्मा को जीतनेवाला दो तत्व प्राप्त करता है – पाप करने वाले व्यक्ति द्वारा किये गये पापों को ढक देता है और पाप करनेवाले व्यक्ति के लिए अनंत जीवन सुरक्षित करता है |

www.Waters-of-Life.net

Page last modified on July 13, 2021, at 11:17 AM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)