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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)
5. यीशु झील के किनारे पर प्रगट होते हैं (यूहन्ना 21:1-25)
अ) मछलियों का आश्चर्यजनक पकड़ा जाना (यूहन्ना 21:1-14)यूहन्ना 21:1-3 अपने पुनरुत्थान के बाद यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी कि वे अपने देश, गलील को चले जायें जो तिबिरियास झील के निकट है | आप अच्छे चरवाहे की तरह उन से आगे निकल कर उन्हें वहाँ मिलने वाले थे; परन्तु उन के लिये आप के प्रेम का अर्थ यह था कि जब वे यरूशलेम में ही थे तब आप उन से जल्द मिलते ताकि उन का भय दूर हो | यह उस समय की बात है जब आप फसह के बाद रविवार की शाम को उन से मिले और दिव्य शान्ति प्रदान करते हुए उन का अभिवादन किया और उन्हें दुनिया में सुसमाचार का प्रचार करने के लिये भेज दिया (मरकुस 16:7: मत्ती 28:10) | इस तरह, आप से लोगों को पकड़ने की आज्ञा पाने के बाद, क्या चेलों ने इस आज्ञा का पालन किया ? पुनरुत्थान के आश्चर्यकर्म से उन के विचारों में कोई परिवर्तन आया जिस से कि वे अनन्त जीवन का उपदेश ले कर जो आप में प्रगट हुआ था, दुनिया में प्रचार करने के लिये निकल पड़ते ? दु:ख की बात है कि उन्हों ने ऐसा न किया बल्कि अपने पुराने काम धन्दों में लग गये और अलग अलग गुटों में बट गये और कुछ तो अकेले रहे और कुछ मछेरों की साझेदारी में लग गये | एक शाम को पतरस मछली पकड़ने के लिये निकल पड़े और अपने मित्रों से कहा: “मैं मछली पकड़ने जा रहा हूँ |” उन्हों ने यह अपने मित्रों की इच्छा पर छोड दिया कि वे उन के पीछे आयें या न आयें और स्वय: चल दिये | वे झील के किनारे पर पतरस से जा मिले, सब नाव में सवार हुए और झील के बीच में चले गये | उन्हों ने कई बार अपना जाल डाला और रात भर थकते रहे परन्तु उन के हाथ कुछ न लगा | वे यीशु का यह वचन भूल गये : “ मेरे बिना तुम कुछ नहीं कर सकते |” यूहन्ना 21:4-6 यीशु ने अपने चेलों को उन के राह भटक जाने के बावजूद ठुकराया नहीं | आप उन के लौटने की प्रतिक्षा में किनारे/तट पर खड़े रहे | आप ने उन के जालों में मछलियाँ डाल दी होतीं परन्तु आप उन्हें सिखाना चाहते थे कि आप की महान विजय के बाद वे जल्दबाजी से काम नहीं कर सकते या अपने साधारण कामों की तरफ नहीं लौट सकते | उन्हों ने आप के साथ अनुबंध करने के लिये स्विकृति दी थी; आप उनके साझेदार थे परन्तु रोज की चिंताओं और समस्याओं में वे आप को भूल गये थे और ऐसा व्यवहार किया मानो आप उपस्थित न थे बल्कि बहुत दूर थे | आप ने अपने अनुयायियों को प्रेरित कह कर संभोदित नहीं किया बल्कि उन्हें बच्चे या जवान कहा | आप ने उन्हें जो कुछ बताया था उस में की अधिक तर बातें वे भूल गये थे, न ही आप के प्रतिबंधों का पालन किया | इस खेदपूर्ण व्यवहार के बावजूद, यीशु ने विनम्रता से काम लेकर उन्हें ड़ाँटने से बाज रहे परन्तु उन से खाने के लिये कुछ माँगा | उन्हें स्विकार करना पड़ा कि वे एक भी मछली पकड़ न पाये और यह कि परमेश्वर उन के साथ न था | संक्षिप्त में यह कह सकते हैं कि उन्हों ने अपनी गल्ती स्विकार की | सवेरे यीशु उन के पास आये; मानो उन्हें नई आशा दिखाई दी हो | आप ने उन से यह न कहा, “अगर तुम असफल रहे हो तो कोई बात नहीं,” या “फिर से प्रयत्न करो, शायद तुम सफल हो जाओ |” बल्कि राजसी आज्ञा देते हुए कहा, “नाव की दाहिनी बाजु को जाल डाल दो और तुम कुछ मछलियाँ पकड़ सकोगे |” यधपि वे झील के ज्यादा अन्दर न थे बल्कि किनारे के नजदीक थे जहाँ बड़ी मछलियाँ दुर्लभ होती हैं | फिर भी उन्हों ने इस सुझाव को मान लिया और दाहिनी तरफ जाल डाल दिया | यीशु ने मछलियों को पानी में देखा जैसे आज आप जानते हैं कि वे लोग कहाँ पाये जा सकते हैं जो आप से मिलने के इच्छुक हैं | आप तुम्हें ऐसे लोगों के पास भेजेंगे | आप यह नहीं कहते कि हर व्यक्ति को अपने जाल में पकड़ लो | परन्तु केवल, “तुम्हारा सुसमाचार का जाल उस जगह डालो जहाँ मैं चाहता हूँ कि तुम उसे डालो और तुम मेरे वचन को काम करते दिखोगे |” चेलों ने इस अनोखी आज्ञा का पालन किया और फिर भी यीशु को नहीं पहचाना जो एक साधारण व्यक्ति नजर आये | हो सकता है आप ने साधारण रूप से अभिवादन किया हो, परन्तु उस में विश्वास झलक रहा था | इस लिये उन्हों ने साहस से जाल डाल दिया यधपि वे थके हुए थे | और देखो उन के जाल मछलियों से भर गये थे | प्रभु आत्मिक मार्गदर्शक भेजते हैं जो उस जगह मछलियाँ पकड़ते हैं जहाँ आप उन्हें भेजते हैं और उन के जाल मछलियों से भर जाते हैं | यहाँ तक कि वे स्वय: उन के भरे हुए जाल खींच नहीं सकते | उन्हें ऐसे निष्ठावान साथियों कि आव्यशकता होती है जो प्रेम से उन की सहायता करते हैं | प्रार्थना: प्रभु यीशु मसीह, हमें क्षमा कीजिये क्योंकि हम आप के लिये लोगों को जीतने की इच्छा रखने की बजाय हमें स्वय: अपनी रोटी की चिंता लगी रहती है | हमारे भटक जाने के बावजूद आप हमारे पास आ गये इसलिये हम आप का धन्यवाद करते हैं | हमें अपनी असफलताओं को स्विकार करने के लिये प्रेरणा दीजिये | हमें आप के वचन का पालन करना सिखाईये और हमें उन लोगों तक पहुँचने की प्रेरणा दीजिये जो आप को ढूँडते हैं और उन्हें आप के सुसमाचार के जाल में ले लीजिये ताकि हमेशा के लिये आप के हो जायें | प्रश्न: 130. अधिक मात्रा में मछलियों को पकड़ना चेलों के लिये लज्जा का कारण क्यों बना ?
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