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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
स - ऊपर के कमरे में बिदाई का प्रवचन (यूहन्ना 14:1-31)

2. सहायक (पवित्र आत्मा) के द्वारा विश्वासियों के ऊपर पवित्र त्रिय का उतरना (यूहन्ना 14:12-25)


यूहन्ना 14:12
“ 12 ‘मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो में करता हूँ वह भी करेगा, वरन इस से भी बड़े काम करेगा,क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ |”

परमेश्वर का ज्ञान कोई दर्शन शास्त्र या तर्कशास्त्र की योजना नहीं है | सारा दिमाग ज्ञान घमंड से फूल उठता है परन्तु यह ज्ञान परमेश्वर के प्रेम और उसके बेटे के उद्धार करने का है | इस का अर्थ सहायता करने की स्वतंत्रता है | यीशु ने अपने चेलों को एक नई आज्ञा दी | “जीवन में दिव्य प्रेम को प्रयोग में लाने के लिये प्रार्थना के साथ काम और चमत्कार करो |”

जब चेले यह समझ गये कि आप उनको छोड कर जाने वाले हैं तो उन्हों ने यीशु से सुरक्षा और परमेश्वर के विषय में अधिक ज्ञान के लिये बिन्ती की, परन्तु मसीह ने उन्हें पिता में मज़बूत किया ताकि वो दुनिया में सुसमाचार सुनाने के योग्य बनाये जा सकें |

अति आव्यश्क, उनकी अपनी अस्थाई चिन्ता नहीं थी, बल्कि उन्हें दिव्य सहायता के लिये तैयार करना था | पिता और पुत्र का ज्ञान हमें अपस्वार्थ से बचाता है और नम्रता से सेवा करने का मार्ग दर्शन करता है | यीशु ने कहा, “जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, काम करता है, वह केवल बातें नहीं करता बल्कि त्याग के रास्ते पर चलता है | यहाँ तक कि विश्वासी अपने आप को नकार कर परमेश्वर के पुत्र, मसीह की प्रशंसा करता है, जो मुर्दों में से जी उठा और उसमे काम करता है और उस पर आस्मानी आशीर्वाद प्रदान करता है | ऐसे विश्वास के साथ और पवित्र आत्मा के उतरने के बाद प्रेरित यीशु के नाम से लोगों को चंगा कर सके, उन के पापों को क्षमा कर सके और मुर्दों को जिला सके | उन्हों ने अपने आप को नकारा और मसीह उन में बने रहे | उन्हों ने यीशु से अपने तन मन से प्रेम किया और अपने चाल चलन से आप की महिमा की |

इन पवित्र सेवाओं के सिवा मसीह ने उन्हें वो काम करने के लिये भेजा जिन्हें आप पृथ्वी पर अपने संक्षिप्त समय में ना कर पाये थे | आप के पृथ्वी पर से उठाये जाने के बाद आप ने पवित्र आत्मा भेजा, ताकि बहुत से लोगों का उनके प्रचार करने से उनका नवीकरण हो जाये | ताकि पिता के लिये इतनी सन्तान जनम ले जैसे सूर्योदय के समय ओस पड़ती है | क्रूस पर चढ़ाये गये और दुबारह जी उठे हुए मसीह के विषय में हमारी गवाही से बेहतर और कुछ भी नहीं हो सकता | इस गवाही पर विश्वास कर के लोग अनन्त जीवन प्राप्त करते हैं |जो लोग मसीह में लिपटे रहते हैं उन पर पवित्र आत्मा उतरता है और उन्हें परमेश्वर की सन्तान बनाता है ताकि वो जीवन भर अपने आस्मानी पिता की ईमानदारी से प्रशंसा करते रहें |

यूहन्ना 14:13-14
“ 13 जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूँगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो | 14 यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ माँगोगे, तो मैं उसे करूँगा |”

क्या तुम प्रार्थना करते हो? अपनी प्रार्थना में तुम अपनी मुश्किलों और पापों के लिए कितना समय देते हो ? और परमेश्वर की स्तुति और दूसरों की सेवा करने में कितना कम समय देते हो ? क्या तुम प्रार्थना करने में स्वार्थी हो या परमेश्वर और खोये हुए लोगों के लिये प्रेम से परिपूर्ण हो ?

क्या परमेश्वर के प्रेम के कारण तुम्हारी प्रार्थना में कोई ऐसा परिवर्तन आया है जिस से तुम अपने शत्रुओं के लिये आशीष चाहते हो ? क्या मसीह के उद्धार ने तुम्हें आप के नाम से दूसरे कई लोगों का बचाव करने वाला बनाया है ? क्या तुम्हारी प्रार्थनायें प्रभु की प्रार्थना से सहमत होती है या तुम कुछ लोगों से घ्रणा करते रहते हो और उनके पापों को क्षमा नहीं करते ?

अगर तुम मसीह के नाम से प्रार्थना करोगे तो तुम आपकी आत्मा के अनुसार जिओगे और उसके अनुसार सोच भी करोगे जैसा की आप चाहते हैं और तुम्हारा दिल दयालु विचारों से परिपूर्ण हो जायेगा |

मसीह ऐसा वचन देते हैं जिस में आस्मानी शक्ति और आशीषें होती हैं | आप इस वचन के साथ एक ऐसी शर्त रखते हैं, “अगर तुम मेरे वचन को अपना लोगे ताकि वो तुम को बदल दे तो मैं तुम में शक्तिशाली और महान बन कर रहूँगा और तुम्हारे विअश्वास और प्रार्थना से बहुतों को भ्रष्टाचार से बचाऊंगा | जब जब तुम आत्मा की अगुवाई के अनुसार प्रार्थना करोगे और मुझ पर विश्वास करोगे, मैं उस प्रार्थना का सरल उत्तर दूँगा |”

भाई, धन्यवाद के साथ उस चाबी के बारे में सोचो जो यीशु ने तुम्हारे हाथ में रखी है | प्रार्थना के द्वारा आस्मानी खज़ाने को खोलो | मैं तुम्हारे पड़ोसियों और मित्रों पर आशीषों और उद्धार, और ज्ञान के साथ साथ पश्चताप और सहायता लेकर उतरूंगा | यीशु से निवेदन करो कि आप तुम्हारे राष्ट्र में से दासों को चुन कर उन्हें परमेश्वर की सन्तान बनायें | प्रार्थना करने में थको मत, तुम्हारा विश्वास बहुतों को बचाने का साधन है | जब तुम प्रार्थना करो तो विश्वास करो कि परमेश्वर तुम्हें उत्तर देगा और उत्तर मिलने से पहले ही उसका धन्यवाद करो | अपने भाइयों और बहनों को प्रार्थना और विश्वास में जोड़ लो | स्तुति और आराधना करने में थको मत | प्रार्थना करो कि परमेश्वर तुम पर प्रार्थना करने वाली आत्मा उंडेल दे |

अगर तुम्हें ऐसा लगता है कि यीशु तुम्हारी प्रार्थना का उत्तर नहीं दे रहे हैं तो पश्चताप करके अपने पापों को स्वीकार कर लो और प्रार्थना के बीच में आने वाली रुकावटों को तोड़ दो ताकि यीशु तुम्हें पवित्र करें | यीशु तुम को आस्मानी परिपूर्णता को पृथ्वी पर लाने का अधिकार देंगे | जब तुम विश्वास के साथ प्रार्थना करना शुरू करते हो और गवाही देते हो तब तुम पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा करते हो |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, हमें प्रार्थना करने की आत्मा प्रदान कीजिये ताकि हम पहले अपने बारे में न सोचें बल्कि उनके बारे में सोचें जिन्हें हम जानते है और उनके बारे में भी जिन्हें हम नहीं जानते हैं | हमें भक्तिपूर्ण विश्वासी बनाईये ताकि आप हमारे अपने लोगों का उद्धार कर सकें | मैं आप की स्तुति करता हूँ | आप ने हमारे लिये स्वर्ग के दरवाज़े खोल दिये हैं और हमारे ऊपर वरदानों और उपहारों की बारिश की है | बहुत से आत्मिक संतानों के जन्म लेने से पिता के नाम की महिमा हो और उनके पवित्र व्यवहार के द्वारा और आत्मा की शक्ति में आप का नाम अभिषिक्त हो |

प्रश्न:

90. प्रार्थना का उत्तर मिलने के लिये पहली शर्त कौन सी है ?

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