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Home -- Hindi -- John - 076 (Jesus anointed in Bethany)
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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
अ - पवित्र सप्ताह की शुरुआत (यूहन्ना 11:55 - 12:50)

1. यीशु का बैत निय्याह में अभिषेक किया जाना (यूहन्ना 11:55 – 12:8)


यूहन्ना 11:55-57
“यहूदियों का फसह पर्व निकट था, और बहुत से लोग फसह से पहले देहात से यरूशलेम को गए कि अपने आप को शुद्ध करें | 56 अत: वे यीशु को ढूँढने लगे और मन्दिर में खड़े होकर आपस में कहने लगे, ‘तुम क्या सोचते हो? क्या वह पर्व में नहीं आएगा ? 57 प्रधान याजकों और फरीसियों ने यह आदेश दे रखा था कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए, ताकि वे उसे पकड़ सकें |”

पुराने नियम में फसह का पर्व मुख्य था, जो इब्रानियों को मिस्र में दिव्य क्रोध से बचाने की याद में मनाया जाता था | इस प्रकार वे दिव्य मेमने की शरण में जीते रहे जो उनके लिये तैयार किया गया था | वो मरने के योग्य थे परन्तु विश्वास ने उन्हें बचाया |

हर साल यहूदी यरूशलेम जा कर उन्हें परमेश्वर के क्रोध से बचाए रखने के लिये उस का धन्यवाद करते थे | वहाँ वो असंख्य मेमनों को बलि करते और उन का माँस खाते थे | बहुत से लोग पहले से ही यरूशलेम पहुँच जाते थे ताकि पश्चताप के द्वारा अपने आप को पवित्र करते और परमेश्वर के मेमने से जुड़ जाने के लिये तैयार हो जाते ताकि फसह के पर्व को उसका माँस खा सकें | यदि किसी व्यक्ती ने किसी मृतक को छुआ हो तो उसे परंपरा नुसार सात दिन तक क्रम से शुद्धिकरण के लिये कर्मकांड करना पड़ते ताकि वो परमेश्वर के मन्दिर में प्रवेश करने योग्य बन जाये (गिनती 19:11)|

इस मौके पर तीर्थ यात्रियों ने यीशु नासरी के बारे में पूछ ताछ की, “क्या आप आयेंगे या वे आप को न देख पायेंगे ?” उन्हें मालुम हो चूका था कि धार्मिक सभा ने चुपके से आपको मृत्यु दंड देने का निश्चय कर लिया था | उन्होंने राष्ट्र में कई लोगों को जासूसी करने के लिये कहा था ताकि वो आप का पता लगायें और अगर आप कहीं दिखाई दिये तो उनको खबर दें ताकि वो आपको गिरिफ्तार कर लें | यीशु को निगलने के लिये मृत्यु के जबड़े खुले हुए थे |

यूहन्ना 12:1-3
“1 यीशु फसह से छ: दिन पहले बैत-निय्याह में आया जहाँ लाज़र था, जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था | 2 वहाँ उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया; और मार्था सेवा कर रही थी, और लाज़र उनमें से एक था जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे | 3 तब मरियम ने जटामांसी का आधा सेर बहुमूल्य इत्र लेकर यीशु के पाँवों पर डाला, और अपने बालों से उसके पाँव पोंछे |”

यीशु को अपने शत्रुओं के छल का डर नहीं था परन्तु आप अपने पिता की इच्छा के अनुसार यरूशलेम की राह चलते रहे | आपने एकांतवास नहीं चुना बल्कि फसह के एक सप्ताह पहले यरूशलेम को लौट आये | आप बैतनिय्याह से होते हुए गये जो राजधानी से तीन किलोमीटर दूर था | आप उस घर में आये जहाँ आपने अपनी शक्ती का प्रदर्शन किया था और मृत्यु को पराजित कर अपने पिता की महिमा की थी | लाज़र जिन्दा था, वो खाता, पीता और बाज़ार में घूमता था | लोग उसे देखते और आश्चर्य करते, फिर भी वे मृत्यु की संभवता और भूत के दर्शन से डरते थे |

मरियम, मार्था और लाज़र ने परमेश्वर की महिमा का अनुभव किया था तधपि कौंसिल की धमकियों के बाद भी उसकी गवाही देते रहे | लाज़र ने यीशु और आप के चेलों का स्वागत किया और प्रसन्न हो कर भोजन का प्रयोजन किया | लाज़र यीशु का मित्र था, वो, जिसने उसे मृतकों में से जिलाया था, उसके पास बैठा रहा | क्या यह चित्र हमें स्वर्ग के बारे में कुछ नहीं बताता? परमेश्वर हम से दूर न होगा बल्की हम महिमा में उस के साथ बैठेंगे |

मार्था ने, जो एक सफल आवास स्वामिनी थी, अपने घर के खजाने खोल दिये और यह जानते हुए कि यीशु सच्चे मसीह हैं जिन्हों ने मृत्यु पर विजय प्राप्त की है, अपना सब कुछ आप को अर्पण किया |

मरियम ने, जो ज़्यादा धार्मिक थी, अपनी प्रथा के अनुसार यीशु का सत्कार किया | उस ने बहुमूल्य इत्र एक कुप्पी में लाया जिसकी कीमत एक मजदूर की साल भर की मजदूरी के बराबर थी | वो यीशु को ऐसी वस्तु देना चाहती थी जो उसे बहुत पसंद थी | परन्तु वह अपने आप को इस योग्य न समझती थी कि आपके सिर पर इत्र डाले | इस लिये उसने अपने जीवनका बहुमूल्य खजाना आपके पैरों पर डाल दिया | प्रेम स्वार्थी नहीं होता परन्तु उदारता से त्याग करता है | बाद में उसने आपके पाँव अपने बालों से पोछे | इस प्रेममय कृत्य ने जो भक्तिपूर्ण और पवित्र था, पूरे घर के वातावरण को सुगंधित कर दिया | वहाँ जितने लोग उपस्थित थे वो मरियम के इत्र के बलीदान से परिपूर्ण हो गये |

यूहन्ना 12:4-6
“ 4 परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नामक एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा, 5 “यह तीन सौ दीनार में बेचकर कंगालों को क्यों न दिया गया ?” 6 उसने यह बात इसलिये नहीं कही कि उसे कंगालों की चिन्ता थी परन्तु इसलिये कि वह चोर था, और उसके पास उनकी थैली रहती थी और उसमें जो कुछ डाला जाता जाता था, वह निकाल लेता था |”

यहूदा यीशु से ज़्यादा पैसों से प्रेम करता था और खरे विश्वास से ज्यादा दुनियावी वस्तुओं को पसंद करता था | इसलिये वो इस बलीदान से जुडी हुई आत्मिक आशीषों की उपेक्षा करके उसे पैसों के रूप में समझाने का प्रयत्न कर रहा था | वो मरियम का यीशु के प्रती किया हुआ आभार प्रदर्शन और आत्मसमर्पण का अर्थ नहीं समझ पाया | जो कोई पैसों से प्रेम करता है वह शैतान बन जाता है | आश्चर्य इस बात का है कि उस ने झूठी भक्ती के द्वारा अपने दिल में यीशु के लिये जो घ्रणा थी उसे छिपाने का प्रयत्न किया, मानो वह कोई दानशील काम करके गरीबों की सहायता करना चाहता था | सच पूछो तो उसके दिल में गरीबों के लिये कोई सहानुभूती न थी, ना वो उन्हें कुछ देना चाहता था बल्कि वह सारी पूंजी अपने लिये रखना चाहता था | गरीबों की सहायता के बहाने से वह अपनी चोरी पर पर्दा डालना चाहता था और गरीबों को दी हुई मामूली मदद से ज्यादा रकम अपनी जेब में डालता था | वह थोडी चीज़ों में विश्वास-योग्य न था परन्तु अपने इरादे और विचार के अनुसार चोर था |

यीशु ने इस खजांची का बही खाता कभी नहीं जांचा था बल्कि अंत तक उसे सहते रहे जब की आप उस के विश्वासघात और दुष्ट कामों को जानते थे | यहूदा एक डाकू और धोकेबाज था जो अपने आप से प्रेम रखता था और धन का लोभ रखता था और उसका दास था | भाई, तुम परमेश्वर और पैसे दोनों की सेवा नहीं कर सकते | तुम एक से प्रेम और दूसरे से घ्रणा करोगे | अपने आप को मूर्ख न बनाओ | तुम्हारा उद्देश क्या है; परमेश्वर या सुख और शांती का जीवन ?

यूहन्ना 2:7-8
“ 7 यीशु ने कहा, ‘उसे रहने दो | उसे यह मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रखने दो | 8 क्योंकि कंगाल तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा नहीं रहूँगा |’”

परमेश्वर हमें फुज़ूल खर्च करने के लिये नहीं कह रहा और न इत्र की कुप्पियाँ एक दूसरे के पाँव पर उंडेलने के लिये कह रहा है | परन्तु अपने आस पास रहने वाले गरीबों की ज़रुरतों को देखने के लिये अपनी आँखें खोले रहने के लिये कह रहा है | समुदाय, धर्म या विचारधारा मसीह के वह शब्द नहीं मिटा सकते कि, “गरीब हमेशा हमारे साथ रहेंगे |” हमारा स्वार्थीपन बहुत ज्यादा है परन्तु प्रेम बहुत कम है | धरती पर आत्मिक समाजवाद नहीं हो सकता न ही हर कोई भेंट देने, धन और सम्मान में दूसरे सब लोगों के समान हो सकता है | हम जहाँ कहीं चाहे जायें, वह पूर्व हो या पश्चिम, वहाँ हम दु:खी और ठुकराये हुए लोग पायेंगे | हर शहर या गाँव में आप गरीबों को ढूंड निकालिये और उनमें आपको यीशु का चेहरा दिखाई देगा |

यीशु जानते थे कि लोगों के दिल चकमक पत्थर की तरह ठोस और बर्फ की तरह ठंडे होते हैं | आप प्रेम की गर्माहट लेकर उन के लिये मरने को आये हैं | आप यह भी जानते थे कि पवित्र आत्मा ने मरियम को आप के पाँव पोंछने और दफ़न करने के लिये तेल लगाने की प्रेरणा दी थी | जब लोगों में दिव्य प्रेम प्रविष्ट करता है तब पवित्र आत्मा ऐसे अद्भुत काम करने के लिये उनका मार्गदर्शन करता है | मरियम चाहती थी कि अपने दिव्य अतिथि को महिमामंडित करे, इसलिये आत्मा ने उसे समय से पहले तेल से अभीषेक करने की प्रेरणा दी | मसीह इस दुष्ट जगत का उदारता और अनुग्रह के परमेश्वर के साथ मिलाप करना शुरू करते हैं |

प्रार्थना : प्रभु यीशु, लाज़र को मरे हुओं में से जिलाने के कारण हम आप से प्रेम करते हैं | आप को अंधकारपूर्ण कबर का कोई भय न था | हमें अपने दिल और जो कुछ हमारी संपती है वह सब आप की सेवा में अर्पित करना सिखाईये | हमें नीचता, मिथ्याचार, चोरी और घ्रणा से मुक्त कीजिये | हमें अपने प्रेम से परिपूर्ण कीजिये और धन्यवाद के साथ बलीदान के मार्ग पर चलने के लिये मार्ग दर्शन कीजिये |

प्रश्न:

80. यीशु ने मरियम का आप को अभीषेक करना स्वीकार क्यों किया?

www.Waters-of-Life.net

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