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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
1. झोपड़ियों के पर्व के समय पर यीशु का वचन (यूहन्ना 7:1 – 8:59)

ब) लोगों और उच्च न्यायालय के सदस्यों के बीच यीशु के विषय में निराशा जनक विचार (यूहन्ना 7:14-53)


यूहन्ना 7:45-49
“45 तब सिपाही प्रधान याजकों और फरीसियों के पास लौट आए; उन्हों ने उनसे कहा, ‘तुम उसे क्यों नहीं लाए ?’ 46 सिपाहियों ने उत्तर दिया, ‘किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं कीं |’ 47 फरीसियों ने उनको उत्तर दिया, ‘क्या तुम भी भरमाए गए हो ? 48 क्या सरदारों या फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है ? 49 परन्तु यह लोग जो व्यवस्था नहीं जानते, शापित हैं |’”

जब यीशु मंदिर में लोगों को सिखा रहे थे तब फरीसी इस आशा से जमा हो गये कि उनके सेवक यीशु को गिरिफ्तार करके उनके पास ले आयेंगे | महा याजक एक से ज़्यादा भी हो सकते हैं और उच्च न्यायालय के सभापति भी बन सकते हैं | परन्तु रोमी शासक समय समय पर उन्हें बरखास्त भी किया करते थे | इस कारण यीशु के जीवन काल में रोमी शासकों के बरखास्त किये हुए कई महा याजक थे जो याजकों के घराने के थे | ये लोग सदूकी थे और स्वतंत्र विचार वाले थे और फरीसियों की व्यवस्था पालन की ओर सहानुभूति न रखते थे |

न्यायालय में फरीसी याजकों के साथ बैठते थे | न्याय शास्त्री होने के नाते से उन्हों ने यूनानी विचार को रद्द कर दिया और अपनी पार्टी के विश्वास और कामों के लिये व्यवस्था को आधार बना लिया था | वे कठोर दिल थे और अपने साथ दूसरों को भी कठोरता से परमेश्वर का सम्मान करने के लिये मज़बूर करते थे |

यीशु को गिरिफ्तार करने में असफल होने से फरीसी और सदूकी दोनों क्रोधित थे | चेलों ने आपकी रक्षा नहीं की, ना ही लोगों ने आपको बचाया, परन्तु आपके वचन ने सब को प्रभावित किया, इस लिये उन्हें आपको बेडियाँ पहनाने का साहस नहीं हुआ क्योंकी वो आप में से निकलने वाली परमेश्वर की शक्ती को जानते थे |

इस पर फरीसी जोश में आ गये और मंदिर के सेवकों के विरुध चिल्लाये: “क्या तुम भी इस धोकेबाज़ पर विश्वास करने वालों में शामिल हो गये हो ? न्यायालय के एक भी सम्मानिय सदस्य ने उस पर विश्वास नहीं किया है | कोई भी धार्मिक विश्वासी इस गलीली का अनुयायी नहीं बनेगा |”

कई लोग यीशु से प्रेम करते थे, परन्तु वे साधारण व्यक्ती थे जो घ्रणित, दुष्ट या भ्रष्टचारी समझे जाते थे | यीशु उनके साथ मेज़ पर बैठ कर अपनी उपस्तिथि से उनका सम्मान करते थे | परन्तु धार्मिक व्यक्ती ऐसे लोगों से घ्रणा करते थे और उन्हें श्रापित समझते थे | वो उन्हें व्यवस्था की आँखों से देखते थे | वास्तव में यही घ्रणित लोग यीशु के अनुयायी थे | इन में से कुछ लोगों ने बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के सामने अपने पापों को स्वीकार किया था | इस लिये शासक उनसे घ्रणा करते थे और यह भूल गये थे कि वो भी उन्ही की भाषा बोलते हैं और उन्हीं की प्रथा को मानते हैं | अलग अलग समूहों के बीच में कोई भी संघर्ष या विभाजन हो जाता तो वो सब मिल कर एक संघ बना लेते थे |

यूहन्ना 7:50-53
“50 नीकुदेमुस ने, जो पहले उसके पास आया था और उनमें से एक था, उनसे कहा, 51 ‘क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ती को जब तक पहले उसकी सुनकर जान न ले कि वह क्या करता है, दोषी ठहराती है ?’ 52 उन्होंने उसे उत्तर दिया, ‘क्या तू भी गलील का है ? ढूँढ़ और देख कि गलील से कोई भविष्यवक्ता प्रगट नहीं होने का |’ 53 [तब सब कोई अपने अपने घर चले गए |”

उच्च न्यायालय में जो लोग उपस्थित थे उनमें से एक व्यक्ती उनकी शत्रुता को देख कर चिंतित था | उसका नाम निकुदेमुस था, जो रात के समय छिप कर यीशु के पास आया था | मसीह ने उसे पुनरजन्म की आवयश्कता के विषय में बताया था | यह व्यक्ती अभी भी यीशु से प्रभावित था और खुले आम यह न बताते हुए कि वह आपका समर्थन करता है, आपके हित में मध्यस्थता करना चाहता था | उसने न्यायालयों में व्यवस्था के उस नियम का सहारा लिया जिस के अनुसार अपराधी की अनुपस्थिति में उसे दंड नहीं दिया जा सकता था |

सभी न्यायाधीश इस सदाचारी पर हँसने लगे | अगर न्यायालय में सुनवाई होती भी तो ऊपरी तौर से होती और इस निर्दोष व्यक्ती को धोके से सज़ा दी जाती | यह षडयंत्रकारी समझ रहे थे कि उनके पास ठोस सबूत है कि यीशु झूठे भविष्यवक्ता हैं क्योंकी आप गलील के रहने वाले थे जिस शेत्र के लोगों से यहूदी घ्रणा करते थे क्योंकी वे व्यवस्था के विषय में लापरवाह थे | कोई भी पवित्र वचन यह संकेत नहीं देता कि प्रतिज्ञा किये हुए मसीह या अन्तिम दिनों में आने वाला भविष्यवक्ता वहाँ से उभर आयेगा | फरीसियों को विश्वास हो गया था कि यीशु झूठे भविष्यवक्ता हैं इस लिये उन्होंने निकुदेमुस का मज़ाक उड़ाया, जो यीशु को उनके सामने उपस्थित करना चाहता था ताकी आपके प्रभावशाली वचन से आप उन्हें विश्वास दिलायें जैसा पहले आपने स्वंय उसे विश्वास दिलाया था |

प्रश्न:

57. याजक और फरीसी साधारण लोगों से घ्रणा क्यों करते थे ?

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