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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
1. झोपड़ियों के पर्व के समय पर यीशु का वचन (यूहन्ना 7:1 – 8:59)
ब) लोगों और उच्च न्यायालय के सदस्यों के बीच यीशु के विषय में निराशा जनक विचार (यूहन्ना 7:14-53)यूहन्ना 7: 37-38 पर्व के समय मंदिर के आंगन में यीशु ने फिर से भीड़ को उपदेश दिया | लोग ठहरे हुए थे कि महा याजक वेदी पर पानी डालें | याजक जुलूस में प्रसन्नता और जय जयकार के साथ परमेश्वर के सामने वह पानी उंडेलने के लिये आये जो धन्यवाद की भेंट की आशीष का चिन्ह था जो वो विधाता से आने वाले साल के लिये मांग रहे थे | यह परमपरा उन्होंने यशायाह भविष्यवक्ता के इन शब्दों पर आधारित रखी थी | यीशु ने प्यासी आत्माओं को देखा जो इन संस्कारों के होते हुए भी उद्धार को नहीं जानती थीं | यीशु ने आशापूर्ण भीड़ से पुकार कर कहा, “मेरे पास आओ और जीवन का पानी जितना चाहो पीओ | हर एक व्यक्ती जो प्यासा है मेरे पास आए, मैं जीवन का झरना हूँ | जो दिव्य जीवन की अभिलाषा नहीं रखते वो उद्धारकर्ता के पास नहीं आयेंगे | परन्तु जो आप के पास आया करते थे, यीशु ने उनसे कहा ‘जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वो व्यक्तीगत रूप से मुझ से बंध जाता है | वह बहुतों के लिये आशीष का झरना बन जाता है | पवित्र वचन मुझ पर विश्वास करने के लिये आग्रह करता है और परमेश्वर भी तुन्हें आज्ञा देता है कि मेरे पास आओ और जीवन और आनन्द पाओ |” जो कोई यीशु के पास निडर हो कर आता है और आपके वचन को स्वीकार करता है, वो आप की आत्मा से परिपूर्ण हो जाता है और उसका नवीकरण हो जाता है | वो प्यासा, झरना बन जाता है और घमंडी व दुष्ट व्यक्ती, वफादार सेवक बन जाता है | क्या तुम ने यीशु कि कृपा और चिंता की अनुभव किया है? यीशु चाहते हैं कि तुम साफ पानी का कुआँ बन जाओ | इस में संदेह नहीं कि तुम्हारे दिल से बुरे विचार निकलते हैं, परन्तु यीशु तुम्हारे दिल और मुँह को शुद्ध कर सकते हैं ताकी तुम बहुतों के लिये आशीष का स्त्रोत बन जाओ | यीशु का उद्देश केवल तुम्हारे मन और आत्मा को ही नहीं बल्की तुम्हारे शरीर को भी पवित्र करना है ताकी तुम जीवित बलीदान बन सको जो परमेश्वर को स्वीकार हो और खोये हुओं की सेवा कर सको | आप का उद्देश तुम्हारा पूर्ण पवित्रीकरण करना है तकी तुम केवल अपने लिये ही ना जियो बल्की अपनी पूरी शक्ती दूसरों की सेवा करने में लगाओ | जो कोई बिना शर्त के अपने आपको यीशु के अधीन करता है वो बहुत से लोगों के लिये आशीष का कारण बन जायेगा | यूहन्ना 7:39 जो कोई यीशु पर विश्वास करता है वो पवित्र आत्मा का उपहार पाता है | पवित्र आत्मा का लोगों पर उतरना हमारी पीढ़ी के लिये एक आश्चर्य है क्योंकी हम अब भी पवित्र आत्मा के निर्देशन में रहते हैं | वह साधारण कोई स्वर्गदूत या भूत नहीं है बल्की स्वंय परमेश्वर है जो पवित्रता और प्रेम से परिपूर्ण है | आत्मा एक पवित्र मशाल और शक्तीशाली जल धारा की तरह है | साथ ही साथ वो एक कोमल सांत्वनादाता भी है | प्रत्येक निष्ठावान मसीही पवित्र आत्मा का मंदिर बन जाता है | मसीह के समय, यह दिव्य आत्मा विश्व में उंडेला नहीं गया था क्योंकी पाप ने मानव जाती को उनके प्रभु से अलग कर दिया था | पापों के पहाड़, आत्मा और मानव जाती के बीच बाधा बन गये थे | परन्तु जब यीशु ने अपनी मृत्यु के द्वारा हमारे पापों को निपट लिया और आस्मान पर परमेश्वर के दाहिनी ओर जा कर बैठ गये तब आप ने अपना प्यार भरा आत्मा पिता की संगति के साथ प्रत्येक जगह विश्वासियों पर उंडेल दिया | परमेश्वर आत्मा है और वह किसी भी जगह और किसी भी समय उपस्थित हो सकता है | इस तरह वो हम विश्वासियों में रह सकता है जिन्होंने यीशु के लहू द्वारा दी गई उसकी क्षमा को स्वीकार किया है | ऐ भाई, क्या तुम ने परमेश्वर का आत्मा पाया है? क्या यीशु की क्षमता तुम पर आई है ? यीशु के पास आओ जो नवीकरण और उपहार का स्त्रोत हैं | यीशु आप को विश्वास दिलाते हैं कि “जो कोई मेरे पास आता है, कभी भूखा नहीं रहेगा और जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह कभी प्यासा ना होगा |” “जैसा पवित्र शास्त्र में लिखा है, जो कोई विश्वास करेगा उसके पेट में से दूसरों के लिये जीवन के पानी की नदियाँ बहने लगेंगी |” यूहन्ना 7: 40- 44 कुछ श्रोताओं ने यीशु के वचन में सच्चाई की शक्ती महसूस की और अपने आप को उस शक्ती को समर्पित कर दिया | उन्होंने सबके सामने स्वीकार किया कि यीशु भविष्यवक्ता है जो परमेश्वर की इच्छा जानते हैं और लोगों के दिलों के मूल भेद भी जानते हैं | यह वही भविष्यवक्ता हैं जिस की प्रतिज्ञा मूसा से की गई थी जो पुराने नियम के लोगों को परमेश्वर की संगती में विजय पर विजय दिलाने में नेतृत्व करेंगे | इस तरह इन में से कुछ लोगों ने साहस से स्वीकार किया कि सच में नाज़रत का यह व्यक्ती ही वचनदत्त मसीह हैं | परन्तु लेखकों की विचारधारा विरोध करने लगी, “नहीं, ये नाज़रत के रहने वाले हैं और मसीह दाउद के शहर और उसके वंश से होंगे |” आस्मानी किताबों का दिया हुआ यह संदर्भ सही है | फिर यीशु ने उन्हें क्यों नहीं बताया कि आप ने बेतलहम में जन्म लिया था | इस के कई कारण हैं, पहला यह की, हेरोदेस राजा का परिवार अपने राजवंश के बाहर के नये राजा की अनुमति नहीं देता | वो अपना सत्ताधिकार बनाये रखने के लिये हजारों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारने के लिये तैयार थे | दूसरा कारण यह था की यीशु की इच्छा, ऐतिहासिक सबूत देकर धर्मपरिवर्तन करने की नहीं थी | आप प्रेम से अपने सत्ताधिकार का एहसास दिलाकर उनमें विश्वास बढ़ाना चाहते थे | इस तरह आपने उन लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया जिन्होंने बगैर देखे आप पर विश्वास किया | भीड़ में मतभेद शुरू हुआ और वो समुदाओं में बट गये | कुछ लोगों ने आपके मसीह होने को स्वीकार किया और दूसरों ने अस्वीकार किया | मंदिर के सेवक यीशु को गिरिफ्तार करने के लिये खड़े थे | परन्तु आप के वचन की श्रेष्ठ महीमा ने उन्हें रोक कर रखा था और वो आप के पास पहुंच ना पाये | प्रार्थना: प्रभु यीशु आपके प्रेम और महानता के लिये हम आपकी आराधना करते हैं | आप जीवन का स्त्रोत हैं | हमारे विश्वास के द्वारा आप हम से बंध चुके हैं | आप ने अपनी आत्मा हम में उंडेल दी है | विश्वास के कारण आप की दिव्यता हम पापियों की बन चुकी है क्योंकी आप ने अपने लहू से हमें पवित्र कर दिया है ताकी हम हमेशा जीते रहें | प्रश्न: 56. यीशु को यह कहने का अधिकार क्यों है की, “अगर कोई प्यासा है तो मेरे पास आये और पिए |”
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