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Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
अ – यरूशलेम की दूसरी यात्रा (यूहन्ना 5:1–47) –यीशु और यहूदियों के बीच शत्रुता का उभरना

3. मसीह मृत्कों को जीवित करते हैं और संसार का न्याय करते हैं (यूहन्ना 5:20-30)


यूहन्ना 5:25–26
“25 मैं तुम से सच सच कहता हूँ वह समय आता है, और अब है, जिसमें मृतक परमेश्वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे, और जो सुनेंगे वे जिएँगे | 26 क्योंकि जिस रीति से पिता अपने आप में जीवन रखता है, उसी रीति से उसने पुत्र को भी यह अधिकार दिया है कि अपने आप में जीवन रखे ;”

जब यीशु यह कहते हैं कि “मैं तुम से सच सच कहता हूँ,” तब आप यह स्पष्ट करते हैं कि आप सत्य हैं | पुराने नियम के लोगों ने सोचा भी ना होगा की इस तरह आप अपने आने के बारे में सभी भविष्यवाणियां प्रभावशाली तरीके से पूरी कर देंगे | आप ने मृत्कों को जिन्दा किया | सब लोग अपने पापों में मर चुके हैं और भ्रष्ट हैं परन्तु केवल यीशु ही पवित्र और परमेश्वर के अवतारित पुत्र हैं, जिन्होंने अपने शरीर में पाप पर विजय प्राप्त कर हमें अपने विश्वास के द्वारा अपने जीवन में सहभागी कर लिया | आज जो कोई उद्धार के समाचार की ओर ध्यान देता है, उसे समझता है और मसीह से लिपटा रहता है वो परमेश्वर का जीवन पाता है | पुनरुत्थान के दिन से हम जानते हैं कि हमारा विश्वास जीवन का विश्वास है ना की मृत्यु और नाश का धर्म | यीशु अपने जीवन की आत्मा उन लोगों के अन्दर डाल देते हैं जो आपकी सुनते हैं और उन लोगों में भी जो आपके समाचार को अभी तक ठीक से ना समझ सके परन्तु आप का वचन समझने के इच्छुक हैं | ऐसे लोगों में आप सुनने की इच्छा जाग्रत करते हैं और इस तरह आप का आश्चर्यजनक वचन सत्य ठहरता है कि जो अपने पापों में मर चुके हैं वो सुन पाते हैं | मृत्क स्वंय जीवित नहीं हो सकते और ना ही सुन सकते हैं परन्तु यीशु उन में जीवन डाल देते हैं और तब वो आपके वचन की तरफ ध्यान देते हैं |

हमारा दुनियावी जीवन नाश हो जाता है परन्तु हमें दिया गया दिव्य जीवन हमेशा के लिये बना रहता है | जैसा की यीशु ने कहा : “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा, और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा |

मसीह हमें दोबारह जिला सकते हैं क्योंकी आस्मानी पिता ने अनन्त जीवन आप को समर्पण कर दिया है | मसीह एक ऐसे महान झरना हैं जिसमें से लगातार जीवन का पानी बहता रहता है |आप ही से हम ज्योती से ज्योती, प्रेम से प्रेम और सच्चाई से सच्चाई प्राप्त करते हैं | आप में से कोई भ्रष्टाचार या अन्धकार नहीं निकलता और ना ही कोई बुरे विचार निकलते हैं | आप प्रेम से परिपूर्ण हैं जैसा की पौलुस प्रेरित ने कहा: मसीह दयावान हैं और कोई मित्र इर्षा या घमंड नहीं करता | आप अपनी भलाई नहीं चाहते, ना किसी की बुराई चाहते हैं , ना अपराध से प्रसन्न होते हैं | आप धीरजवन्त हैं और हर एक के साथ धैर्ययुक्त होते हैं | आप का प्रेम कभी टलता नहीं | यह सब वरदान आपने हमें अपनी आत्मा के द्वारा दिये हैं | आइये हम जीवन का झरना बन जायें |

यूहन्ना 5:27–29
“27 वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है | 28 इससे अचम्भा मत करो; क्योंकि वह समय आता है ि जितने कब्रों में हैं वे उसका शब्द सुनकर निकल आएँगे | 29 जिन्होंने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्होंने बुराई की है वे दण्ड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे |”

प्रकृतिक मानव पाप के कारण मर चुका है | जो कोई परमेश्वर के प्रेम को नहीं अपनाता वो अपना न्याय स्वंय करता है | मसीह का वचन प्रेमयुक्त , शक्तिशाली और शुद्ध है | जो कोई आप की सुनता है और आपको स्वीकार करता है, जीवन पाता है | साथ साथ आपका वचन और आप का आचरण हमारे जीवन के नियम हैं | परमेश्वर ने न्याय आप को सौंप दिया है | आप पवित्र हैं जिन्हें हमारी तरह परखा गया परन्तु आप से कोई पाप नहीं हुआ | कोई भी व्यक्ती परमेश्वर के न्यायालय में कोई बहाना नहीं कर सकता | मसीह ही योग्य व्यक्ती हैं जो सारी दुनिया का न्याय कर सकते हैं | आप ही सारी मानव जाती के भाग्य का निश्चय कर सकते हैं | स्वर्गदूत और सारी सृष्टी आप की आराधना करेगी |

मसीह की आज्ञा से पुनरुत्थान अवश्य होगा | आप की पुकार दुनिया को छेदेगी | मृत्क साधारण आवाज़ नहीं सुन सकते परन्तु पुत्र की आवाज़ से वो काँपने लगेंगे | सोई हुई आत्मायें जाग उठेंगी | और अपनी अपनी कब्रों में से निकल आयेंगी | सब से अचम्भे की बात यह होगी कि कई आत्मायें जीवित उठेंगी और कई मृत्क जैसी दिखाई देंगी | पुनरुत्थान दो बार होगा, एक, जीवन के लिये और दूसरा, न्याय के लिये | उस घड़ी हम आश्चर्यजनक चमत्कार देखेंगे | जिनके मुंह पर हम चमकदार प्रकाश देखा करते थे उन पर निराशा छाई हुई होगी और जिन्हें हम साधारण और नाचीज समझते थे वो सूरज की तरह चमकते होंगे |

महान व्यक्ती जो परमेश्वर के सामने जीवित होंगे वो बुरे लोगों से बेहतर ना होंगे | परन्तु जो लोग पहले पुनरुत्थान में जीवित किये जायेंगे उन्हें यीशु मसीह क्षमा कर चुके होंगे और वो उसका धन्यवाद करेंगे | ये लोग मसीह के सुसमाचार की शक्ति द्वारा जीते थे | उनके जीवन में वो फल दिखाई देता था जो पवित्र आत्मा उत्पन्न करता है | यीशु ने अपने बहुमूल्य लहू के द्वारा उनके सब दाग मिटा दिये हैं | यह अनुग्रह उन्हें उनके विश्वास के कारण मिला है |

परन्तु जो यह सोचता है कि उसके काम परमेश्वर के सामने संतोषजनक होंगे वह यह वाक्य सुनेगा: “ऐ स्वार्थी मनुष्य , तू केवल अपने उद्धार के लिये ही चिंतित क्यों रहा और अपने शत्रु से प्रेम क्यों नहीं किया ? मसीह ने क्रूस पर तेरे और परमेश्वर के बीच पूर्ण मेल मिलाप करवाया उसे स्वीकार क्यों नहीं किया और तूने मसीह का दिया हुआ अपना अनन्त जीवन कैसे ठुकराया ? तेरे घमंड ने तुझे मृत्यु को चुनने के लिये प्रोत्साहित किया इस लिये अब तू मसीह के दिये गये अनुग्रह के बिना उसी हालत में रह |” जो लोग अपने पापों में मर जाते हैं वो कठोर सजा पाने के लिये जिलाये जायेंगे और उन्हें अपने शब्द, काम और विचार का विस्तारीत वक्तव्य दिया जायेगा | और जो कोई मसीह पर विश्वास कर के आप की महीमा की ओर खींचे जाता है उस में आप की ओर से प्रेम उंडेल दिया जायेगा | ये उद्धार उसे दयावान सेवा करने के लिये प्रोत्साहन देता है जो आज अनन्त जीवन का लक्षण है |

यूहन्ना 5:30
“ 30 “मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता; जैसा सुनता हूँ , वैसा न्याय करता हूँ; और मेरा न्याय सच्चा है, क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूँ |”

आप सब से बड़ा कर्तव्य निभाते हैं क्योंकी आप अनन्त न्यायाधीश हैं | मसीह अपने इस अधिकार को जानते हैं जो उन्हें सौंपा गया था | फिर भी आप विनम्र रहे और नम्रता की निचली श्रेणी तक झुक कर कहा : “मैं अपने आप कुछ नहीं कर सकता” यानी मैं स्वंय ना न्याय कर सकता हूँ , ना सोच सकता हूँ, ना प्रेम कर सकता हूँ और ना ही साँस ले सकता हूँ | इस तरह आप ने सारा सम्मान अपने पिता को दिया |

यीशु हर समय अपने पिता से जुड़े रहे | उन दोनों के बीच की इस फोन की लाईन में कभी बाधा ना आई क्योंकी परमेश्वर की आवाज़ आप को मनुष्यों के अन्दर पाई जाने वाली आत्मा के बारे में बताती रहती थी | परमेश्वर का आत्मा दुनिया को जांचता है और तुम्हारे दिल को भी परखता है और तुम्हारे विचार और उन बातों को बताता है जो तुम दूसरों से छुपाये रखते हो | मसीह के अन्दर का यह आत्मा सही तरीके से तुम्हारा न्याय करता है | धन्य हो तुम अगर तुमने परमेश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकार किया हो और क्रूस पर चढ़ाये हुए मसीह से क्षमा प्राप्त की हो | तुम्हारा नाम जीवन की पुस्तक में लिखा जायेगा | तब मसीह धार्मिक लोगों से कहेंगे : “हे मेरे पिता के धन्य लोगो, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ जो जगत क्वे आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है |

मसीह जो सत्य हैं, कभी झूट नहीं बोलेंगे क्योंकी आप वो सब कुछ जानते हैं जो मनुष्य के हृदय में होता है | आप उन गुणों को भी जानते हैं जो हम अपने पूर्वजों से प्राप्त करते हैं और आप हमारा न्याय भी जल्दबाज़ी में नहीं करते | आप बड़े धैर्य से प्रतीक्षा करते हैं कि पापी पश्चताप करें | आप का पवित्र स्वभाव उन लोगों को जो आप की दया से दयावान बन चुके हैं , उन लोगों से अलग करता है जो आप की आत्मा का त्याग करते हैं और निर्दयी बन जाते हैं |

मसीह ने अपनी नम्रता के साथ साथ कोमलता भी दिखाई | आप अपने पिता से अपनी इच्छा के अनुसार हर विषय पर सलाह लेते रहते हैं | इस तरह मसीह ने क्रूस पर भी अपने पिता की इच्छा हर तरह से पूरी की | अन्तिम समय में भी आप ने प्रार्थना की, “तौभी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं पर जो तू चाहता है वही हो |” इस तरह आप परमेश्वर के न्यायालय में पूरी तरह से न्याय करेंगे |

सुसमचारकों के लिखे हुए पिता और पुत्र के बीच के संबंधों का उद्धेश पवित्र त्रिय में हमारे विश्वास को दृढ़ करना है | पिता और पुत्र दोनों को मृत्कों को जीवन देने का बराबर का अधिकार है | पिता ने पुत्र को अपने सब काम बताये और कोई ऐसा काम नहीं किया जो पुत्र को ना बताया हो | मसीह की आवाज़ मृत्कों को जिलाएगी क्योंकी आप के पास मृत्यु और नरक की चाबियाँ हैं | हमारा विश्वास बुद्धी के लिये एक रहस्य बन जाता है | अगर मसीह का प्रेम आपकी कोमलता के साथ हमारे दिलों में उंडेल दिया जाये तो हम अपने उद्धार के लिये जान जायेंगे के परमेश्वर पवित्र त्रिय में से एक है |

प्रश्न:

41. यीशु के स्पष्टीकरण के अनुसार पिता और पुत्र में कैसा संबंध है ?

www.Waters-of-Life.net

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