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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
क - मसीह का पहली बार यरूशलेम को चले आना (यूहन्ना 2:13–4:54) - सही उपासना क्या है?
2. यीशु की निकुदेमुस से बात चीत (यूहन्ना 2:23 – 3:21)

ड) मसीह को अस्वीकार करना, दंड की और ले जाता है (यूहन्ना 3:17-21)


यूहन्ना 3:17–21
“ 17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए | 18 जो उस पर विश्वास करता है उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इस लिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया | 19 और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योती जगत में आई और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योती से अधिक प्रिय माना क्योंकी उनके काम बुरे थे | 20 क्योंकी जो कोई बुराई करता है वह ज्योती से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए | 21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है, वह ज्योती के निकट आता है, ताकी उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं | ”

बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने ऐसे मसीह का प्रचार किया जो मानव जाती का न्याय करेगा और अपने राष्ट्र में पाये जाने वाले हर बीमार पेड़ को काट डालेगा | परन्तु यीशु ने निकुदेमुस से कहा कि आप आग में जलाने नहीं बल्की लोगों की जान बचाने आये हैं | हमारा मुक्तीदाता दयालु है | जब बपतिस्मा देने वाले ने दूसरे के बदले दिये हुए बलीदान के रहस्य को समझा तब उन्होंने यीशु को परमेश्वर का मेमना कहा |

परमेश्वर ने अपने प्रेम में अपने पुत्र को सिर्फ यहूदियों के लिये ही नहीं परन्तु सारी दुनिया के लिये भेजा था | पद 17 में “दुनिया” शब्द का तीन बार प्रयोग किया गया है | इस से यहूदियों को सदमा पहुंचा क्योंकी वो गैर यहूदियों के साथ कुत्तों की तरह व्यवहार करते थे परन्तु परमेश्वर जैसे अब्राहम की सन्तान से प्रेम रखता था वैसा ही प्रेम वो दूसरी जातियों से भी रखता था | सभी दंड के पात्र हैं परन्तु यीशु दंड देने के लिये नहीं बल्की उद्धार करने के लिये आये | शुरू से आप ने अपनी क्रूस के द्वारा जंगल में ऊंचे उठाये हुए पीतल के साँप का उद्देश पूरा किया और मानव जाती को परमेश्वर की दी हुई सज़ा खुद सह ली | परमेश्वर का प्रेम किसी खास जाती के लिये नहीं बल्की सब लोगों के लिये है |

तब मसीह एक प्रभावित मुहाविरे का उपयोग करते हैं : “जो पुत्र पर विश्वास करता है उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती |” इस प्रकार दंड के दिन का सारा डर मिट गया | मसीह पर विश्वास करने से हम मृत्यु से छुटकारा पाते हैं , अन्यथा हम उसी के योग्य हैं | अगर तुम मसीह पर विश्वास करते हो तो दंड से मुक्त हो जाओगे |

जो लोग मसीह के उद्धार को यह सोच कर अस्वीकार करते हैं कि उन्हें उसकी आवशक्ता नहीं है वे अन्धे, मूर्ख और आप के दिये गये अनुग्रह से वंचित हैं | जो लोग मसीह की शक्ती का स्वागत नहीं करते वो पवित्र आत्मा की ज्योती की किरणों को अपने आपसे दूर रखते हैं | जो मसीह की मृत्यु से घ्रणा करते हैं या उसे नकारते हैं वो परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह करके अपने लिये स्वंय अपनी धार्मिकता पसंद करते हैं | हमारे सब काम अपर्याप्त हैं और हम परमेश्वर की महीमा से वंचित रहते हैं |

यीशु समझाते हैं कि कुछ लोग उद्धार को क्यों अस्वीकार करते हैं | वो परमेश्वर की धार्मिकता से ज़्यादा पाप से प्रेम करते हैं और यीशु से जो दुनिया की ज्योती हैं दूर रहना पसंद करते हैं | इस प्रकार वो अपने पापों को गले से लगाते हैं |मसीह हमारे दिलों को और दुष्ट विचारों के मुख्य कारण को जानते हैं | मनुष्य के काम घिनौने होते हैं | कोई भी व्यक्ती स्वंय अपने विचार में अच्छा नहीं होता | हमारे विचार वचन और कर्म जवानी से ही दुष्ट होते हैं | इस विचार विनमय ने निकुदेमुस पर गहरा प्रभाव डाला क्योंकी यीशु ने उस के घमंड को तोड़ने के लिये इसे बड़े प्रेम भाव से प्रदर्शित किया और उसे पश्चाताप करने के लिये आकर्षित किया |

यीशु ने कहा जो मसीह पर विश्वास नहीं करता वो दुष्ट से प्रेम और सच्चाई से घ्रणा करता है और अपने पापों में लिपटा रहता है | अधिक मात्रा में लोग पाखंडी होते हैं और अपनी धार्मिक मुस्कुराहट के पीछे पापों को छिपाये रहते हैं | वो जाने या अनजाने में मसीह से घ्रणा करते हैं | क्या तुम ने मसीह के सामने अपने पापों को स्वीकार किया है ? अगर तुम अपनी दयाहीनता स्वीकार नहीं करते तो तुम नया जन्म नहीं ले सकते | अपने दिलों को परमेश्वर की ज्योती के लिये खोलोगे तो साफ़ हो जाओगे | परमेश्वर के मेमने पर विश्वास करने से हमारा शुद्धिकरण होता है | इस लिये विनम्र होकर और मसीह में विश्वास रख कर अपना भ्रष्टाचार स्वीकार करो तो तुम हमेशा जीवित रहोगे |

विश्वास का प्रयोग करने का मतलब हमेशा सही काम करना होता है | परमेश्वर की सच्चाई को स्वीकार करने के लिये स्वेच्छुकता, हमारे नवीकरण के लिये आव्यशक है | जो कोई सिर्फ अपनी बुद्धी ही से नहीं परन्तु सम्पूर्ण अस्तित्व से मसीह की सच्चाई में प्रवेश करता है उस का नैतिक परिवर्तन हो जाता है | झूठे, ईमानदार बन जाते हैं, भ्रष्ट, सरल बन जाते हैं, विश्वासघाती निष्ठावान बन जाते हैं | जिनका नया जन्म हो चुका है वो पहले नेक ना थे परन्तु उन्हों ने अपने दोष स्वीकार किये और विश्वसनीय परमेश्वर ने उन्हें क्षमा प्रदान की है | उनका पवित्रीकरण शुरू हो चुका है | वो उन्हें पवित्र आत्मा के काम करने के लिये प्रेम की शक्ती देता है | परमेश्वर विश्वासियों में मसीह के द्वारा काम करता है ताकी शान्ती के काम प्राप्त हों |

हम अच्छे कामों को नहीं ठुकराते परन्तु ये हमारी तरफ से नहीं बल्की परमेश्वर की तरफ से होते हैं | इस का श्रेय हम स्वंय नहीं लेते, यह उसका अनुग्रह है | इस का मतलब यह हुआ कि हम स्वत: की धार्मिकता को जो अहंकारी प्रयास पर आधारित होती है, छोड़ कर मसीह के खून पर आधारित अनुग्रह की धार्मिकता को अपना लेते हैं | परमेश्वर उन सब लोगों से प्रसन्न होता है जो नया जन्म ले चुके हैं और मसीह में रहते हैं | उनका जीवन परमेश्वर के अनुग्रह का कृतज्ञ हो जाता है | नया जन्म और पवित्र जीवन ऐसी अराधना होती है जो परमेश्वर को प्रसन्न करती है |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम आपका धन्यवाद करते हैं कि आपने दुनिया की सज़ा स्वंय सह ली | हम आपके आगे अपने सर झुकाते हैं क्योंकी अब हमें वह सज़ा नहीं झेलना पड़ेगी क्योंकी विश्वास करने से हम आप से जुड़ चुके हैं | आपने हमें परमेश्वर के क्रोध से स्वतन्त्र कर दिया है | हम आपके सामने अपने पापों को स्वीकार करते हैं | हमारे अन्दर से पाप करने की इच्छा दूर कीजिये | हम में पवित्र आत्मा के फलों की रचना कीजिये ताकी हमारा जीवन परमेश्वर अर्थात आस्मानी पिता की श्रद्धा और अराधना का प्रदर्शन करे |

प्रश्न:

29. मसीह पर विश्वास करने वालों पर सज़ा की आज्ञा क्यों नहीं होगी ?

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