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 बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना, मसीह का रास्ता तैयार करता है (यूहन्ना 1:6-13) :)

Home -- Hindi -- John - 006 (The Baptist prepares the way of Christ)

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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
अ - प्रभु के वचन का यीशु में अवतारित होना (यूहन्ना 1:1-18)

2. बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना, मसीह का रास्ता तैयार करता है (यूहन्ना 1:6-13)


यूहन्ना 1:9-10
9 सच्ची ज्योती जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है ,जगत में आनेवाली थी| 10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना|

मसीह दुनिया की खरी ज्योती हैं| पवित्र आत्मा ने सैकड़ों साल पहले भविष्यवक्ताओं के द्वारा आपके आने की भविष्यवाणी की थी| पुराने नियम की आस्मानी किताबें मसीह के हमारे विश्व में आने के बारे में निर्देश से भरी हुई हैं| इस प्रकार यशायाह भविष्यवक्ता ने कहा: “देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है: परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा| (यशायाह 60:2)

हमारे इस पद में दुनिया शब्द चार बार दुहराया गया है| प्रचारक यूहन्ना के लिये इस शब्द का अर्थ अन्धकार के समीप है| क्योंकि उन्होंने लिखा है: “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है|” (1 यूहन्ना 5 :19)

आदि में दुनिया दुष्ट नहीं थी क्योंकि परमेश्वर ने उसे अच्छा बनाया था| उसकी सुन्दरता और उत्तमता से विश्व भरा हुआ था| “तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत अच्छा है|” (उत्पत्ति 1:31) परमेश्वर ने मनुष्य को अपने प्रतिरूप बनाया और उसकी महीमा मानवजाती के माता पिता को प्रदान की जिसने विधाता की ज्योती को दर्पण की तरह प्रतिबिंबित किया|

परन्तु घमंड के कारण सब लोग दुष्ट और विद्रोही हो गये| इन्होंने अपने दिलों को परमेश्वर की सहभागिता से खाली कर लिया क्योंकि उन्होंने अपने आप को अन्धकार की आत्मा के लिये खोल दिया| परमेश्वर से दूरी मनुष्य को हमेशा दुष्ट बना देती है| जैसे दाउद भजन संहिता 14: 1 में स्वीकार करते हैं: “मूर्ख ने अपने मन में कहा है, कोई परमेश्वर है ही नहीं| वह बिग़ड गए, उन्हों ने घिनौने काम किए हैं, कोई सुकर्मी नहीं|” (भजन संहिता 14:1)

फिर भी प्रचारक यूहन्ना यह गवाही देते हैं| जिस तरह सूरज धीरे धीरे निकलता है और अन्धकार को दूर करता है, उसी तरह मसीह इस दुष्ट दुनिया में आये| मसीह की ज्योती ने आँखों को चकाचौंध करने वाली बिजली की तरह हमारी दुनिया में प्रवेश नहीं किया परन्तु आहिस्ता से प्रवेश करके सब लोगों को आत्मज्ञान प्रदान किया| इस प्रकार प्रभु न्यायाधीश और जल्लाद बन कर नहीं आये| परन्तु वे उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता के रूप में आये| सब लोगों के लिये ज़रूरी है की वे मसीह से शिक्षा पायें| इस आत्मज्ञान के बगैर वे अन्धकार में रहते हैं| मसीह ही असली आत्मज्ञान देने वाले हैं, और कोई नहीं| जो कोई सुसमाचार के द्वारा आप का आत्मज्ञान स्वीकार करता है उसका चरित्र बदल जाता है और वह अच्छा मनुष्य बन के दूसरों को आत्मज्ञान आत्मज्ञान देता है|

क्या तुम इस वचन का अर्थ समझते हो: “निर्माता इस दुनिया में आये”? मालिक ने अपनी मिल्कियत में प्रवेश किया और राजा अपनी प्रजा के नजदीक आया| कौन जाग उठेगा और उसके आने की तैयारी करेगा? कौन उसके आने की सच्चाई, विधान और उद्देश का अध्ययन करेगा? वह कौन है जो अपने सांसारिक और अहंकार (vain) के उद्देशों को छोड़ कर आगे बढ़ता है और आने वाले परमेश्वर का स्वागत करता है? वह कौन है जो परमेश्वर के आने की इस क्रान्तीकारी और अनोखी घड़ी को जानता है?

इस प्रकार प्रभु अचानक पापियों के बीच में उपस्थित हुए| आप साधारण और शांत व्यक्ति के रूप में आये और किसी को इसकी खबर भी नहीं हुई| वो दुनिया को अपनी महानता, शक्ती और महीमा से सूचित नहीं करना चाहते थे बल्की अपनी नम्रता, प्रेम और सच्चाई बताना चाहते थे| क्योंकि सृष्टि के प्रारम्भ से ही घमंड मानव जाती के गिरने का कारण रहा है| इस लिये सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अपने आप को अति नम्र रूप में प्रगट किया| शैतान भी परमेश्वर की तरह शक्तिमान, तेजस्वी और बुद्धीमान होना चाहता था परन्तु मसीह एक कमजोर बच्चे के समान आकर एक सीधी-सादी चरनी में पड़े रहे| इस प्रकार वो अपनी नम्रता, शराफत और आज्ञाकारिता से जीत गये| आप नाचीज़ बने ताकी मानव जाती को उंचा उठा कर मुक्ती प्रदान करें|

तुम सब लोगो, सुनो, इस सुसमाचार के बाद हम एक डरावना और नष्ट करने वाला वचन पाते हैं वह यह की, दुनिया ज्योती को ना जानती है और ना उसे पहचानती है| उसने नहीं पहचाना कि परमेश्वर का बेटा उसके नजदीक आया और लोगों के बीच में उपस्थित था| लोग अपने तत्व:विज्ञान और सांसारिक बुद्धी के बावजूद अन्धे और मूर्ख बने रहे| वो यह ना जान सके कि परमेश्वर स्वंय उनके सामने खड़ा है| उन्होंने अपने निर्माता को ना पहचाना और ना अपने न्यायाधीश मुक्तीदाता को स्वीकार किया|

इस दु:खदाई सच्चाई से हम परमेश्वर की बादशाही के बारे में एक महत्वपूर्ण नियम निकाल सकते हैं| वह, यह की हम केवल अपनी बुद्धी और मानसिक योग्यता से ही समझ नहीं सकते| मसीह के प्रेम का सारा ज्ञान, परमेश्वर का सत्य अनुग्रह और वरदान है| क्योंकि पवित्र आत्मा हमें सुसमाचार के द्वारा बुलाता है, अपने वरदान के द्वारा सिखाता है और हमें सच्चे विश्वास में रखता है| इसलिये हमें पश्चताप करना चाहिये और अपनी बुद्धी की चतुराई और अन्तकरण की भावनाओं पर निर्भर नहीं रहना चाहिये| जिस तरह फूल सूरज की किरणों की तरफ मुंह करके खिलते हैं उसी तरह हम सब को सत्य ज्योती की तरफ मुंह करके खिल जाना चाहिये| इस तरह मसीह पर विश्वास करने से हम सच्चा ज्ञान पाते हैं| यह प्रारंभिक:विश्वास हमारा अपना नहीं होता बल्की यह [प्रभु की आत्मा का काम है जो उन सब लोगों में पाया जाता है जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं|

प्रार्थना: हे प्रभु मसीह, हम आपका धन्यवाद करते हैं कि आप दुनिया में आये| आप न्याय करने या बदला लेने के लिये नहीं आये परन्तु सब लोगों को आत्मज्ञान देने और उनके उद्धार के लिये आये| लेकिन हम अन्धे और मूर्ख हैं| हमारे पापों को क्षमा कीजिये और हमें आज्ञाकारी दिल प्रदान कीजिये| हमारी आँखों को खोल दीजिए ताकी हम आप को देख सकें और हमारी आत्मा को भी कुलीन ज्योती की किरणों से खोल दीजिए ताकी हम आपकी पवित्र आत्मा कि शक्ती से जी सकें|

प्रश्न:

10. मसीह की ज्योती और अन्धकार की दुनिया के बीच क्या सम्बंध है?

www.Waters-of-Life.net

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