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Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
अ - प्रभु के वचन का यीशु में अवतारित होना (यूहन्ना 1:1-18)

1. अवतारित होने से पहले वचन का जौहर और काम (यूहन्ना 1:1-5)


यूहन्ना 1:1
1 आदि में वचन था और वचन परमेश्वर के साथ था और वचन परमेश्वर था।

मनुष्य अपने विचार और लक्ष शब्दों के द्वारा प्रगट करता है। तुम वही हो जो तुम कहते हो। तुम्हारे व्यक्तित्व का संक्षेप और तुम्हारी आत्मा का प्रदर्शन है।

दूसरे अर्थ में देखा जाये तो परमेश्वर का वचन उसकी दिव्यता प्रगट करता है और उसके सब अधिकार, उसके पवित्र वचन में सक्रिय होते हैं। क्योंकी आदि में परमेश्वर ने अपने शक्तीशाली वचन के द्वारा आकाश और धरती का निर्माण किया, और जब उसने कहा,”हो जा,” तब वह असतित्व में आ गये। आज तक परमेश्वर की शक्ती उसके वचनों में सक्रिय है। क्या तुम जानते हो कि जो सुसमाचार तुम्हारे हाथ में है वह परमेश्वर के अधिकार से परिपूर्ण है। यह किताब सभी हायड्रोजन बमों से ज़्यादा शक्ति-शाली है क्योंकी यह तुम्हारे अन्दर पाई जाने वली बुराई निकाल देती है और आप को नेकी में बदल देती है।

यूहन्ना के सुसमाचार में पाये जाने वाले शब्द, “वचन,” में गहरा भेद छिपा हुआ है।वह यह की यूनानी भाषा में उसके दो अर्थ होते हैं। पहला यह की वह साँस है जो मुह से आवाज़ निकालता है। दूसरा यह की वह एक आत्मिक पुरुष है। ये दोनो अर्थ अरबी भषा में शब्द के बाद आने वाले क्रियापद के लिंग पर निर्भर होते हैं, या तो स्त्रीलिंग या पुल्लिंग्।

अंग्रेज़ी में इन की पहचान दो लिंगों के द्वारा की जाती है, नपुसकलिंग, पुल्लिंग, जैसे सर्वनाम में स्त्रीलिंग और पुल्लिंग शब्दों के लिये उपयोग किये गये हैं। इस प्रकार अगर प्रेरित यूहन्ना कहते हैं कि “आदि में वचन था,” और दूसरे पद में यह कह कर स्पष्ट करते हैं, “वह आदि में था,” तो यह तुम्हें मसीह के व्यक्तित्व का एक रहस्य दिखाता है। वह पिता से अग्रसर होता है। जैसे एक नियमित शब्द किसी के मुंह से निकलता है। इस प्रकार मसीह परमेश्वर कि इच्छा और विचार दोनों का मिलाप है। हमें दूसरे धर्म में भी “शब्द” का ऐसा ही प्रयोग दिखाई देता है, जैसे मसीह परमेश्वर का शब्द और उसका आत्मा हैं। दुनिया में किसी भी व्यक्ती में यह गुण नहीं पाये जाते सिवाय उसके जो कुंआरी मरियम से पैदा हुआ।

बैतलहम में मसीह का अवतरन उनके अस्तित्व की शुरुआत नहीं है क्योंकी आप अनन्त काल से अपने आसमानी पिता के साथ थे और दुनिया की उतपत्ति के पहले से ही आप अस्तित्व में थे। इस प्रकार मसीह सनातन हैं, जैसे पिता सनातन है और इन का परिवर्तन नहीं होता जैसे परमेश्वर के वचन में कभी परिवर्तन नहीं होत। यूहन्ना ने हमें मसीह और आपके पिता के बीच पाया जाने वाला असली रिश्ता बताया। जिस तरह मुह से निकला हुआ शब्द ओंठों से निकल कर हवा में खो जाता है, वैसे मसीह परमेश्वर से अलग नहीं हुए बल्की आप परमेश्वर के साथ रहे और उसमें टिके रहे। यूनानी भाषा में “परमेश्वर के साथ,” इन शब्दों का मतलब वचन का परमेश्वर कि तरफ़ प्रवेश करके उस में समा जाना है। इस प्रकार मसीह का रुख हमेशा परमेश्वर की तरफ़ रहा। यह रुख पवित्र आत्मा से जनम लेने वालों के लिये सिद्धान्त बन गया, क्योंकि परमेश्वर प्रेम का स्रोता है। यह प्रेम बिलकुल आज़ादी नहीं चाहता परन्तु अपने स्रोते की तरफ़ रुख किये हुए रहता है और उसमे समा जाता है।

परमेश्वर ने सब प्राणीयों को अपने वचन के द्वारा उत्पन्न किया जिनका पहले अस्तितव ही नहीं था, परन्तु मसीह को इस तरह उत्पन्न नहीं किया क्योंकी मसीह खुद उत्पन्न करने वाला वचन हैं और आपके अन्दर अपने पिता का अधीकार रखते हैं। इस पहले वचन के अन्त में हम अनोखा निर्णयात्मक शब्द पाते हैं की वचन स्वंय परमेश्वर था।इस तरह प्रचारक यूहन्ना उनके सुसमाचार के पहले ही वचन में तुमको बताते हैं कि मसीह, परमेश्वर की तरफ़ से परमेश्वर, ज्योती से ज्योती, सत्य परमेश्वर से सत्य परमेश्वर हैं। आप की उत्पत्ती नहीं हुई बल्की आप पैदा हुए। आप का और पिता का एक ही तत्व है यानी आप अनन्त, शक्तीशाली, पवित्र और दयालु व्यक्ती हैं। जो कोई स्वीकार करता है कि मसीह परमेश्वर का वचन है वो आपकी दिव्यता के विषय में इस वर्णन से सहमत होता है।

प्रार्थना: हे प्रभु यीशु मसीह, हम आप के सामने अपने सर झुकाते हैं क्योंकी आप अनन्त काल से आसमानी पिता के साथ थे और आप का ध्यान हमेशा उसकी तरफ़ लगा रह्ता था। हमारी मदद कीजिये ताकी हम आप से स्वतंत्र न हो जायें। बल्की हमेशा अपने आप को परमेश्वर के लिये अर्पित करते रहें। और उसके प्रेम में बने रहें। हे प्रभु यीशु, हम आप के आभारी हैं क्योंकी आप अपने सुसमाचार के द्वारा, जिस के वचन हम समझ सकते हैं, आप हमारे पास आते हैं। आप के वचन के द्वारा पाये हुए विश्वास के कारण आप का अधिकार हम में दिखाई दे।

प्रश्न:

6. यूहन्ना के सुसमाचार के पहले वचन में कौन सा शब्द बार बार दुहराया गया है और उसका अर्थ क्या है?

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