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Home -- Hindi -- Tracts -- Tract 04 (Peace to You!)
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पत्रक - वितरण के लिये लघु बायबलसंबंधी सन्देश

पत्रक 04 -- आपको शांति मिले


हम लोग समस्याओं के युग में रहते है| आकाश से अणुबमों की बारिश, कई राज्यों में युद्ध विस्फोट, राज्योंकी समाप्ति के आसार, अर्थव्यवस्था धाराशायी, भूख, भय और निराशा, का हर स्थान पर प्रचवल| अनेक लोग शांति और तालमेल की आशा को खो चुके हैं|

यीशु ने हमें भविष्य के बारे में चेतावनी दी थी “तुम पास के युद्धों की बातें या दूर के युद्धों की अफवाहें सुनोगे पर देखो तुम घबराना मत| ऐसा तों होगा ही किन्तु अभी अंत नहीं आया है|” (मत्ती 24:6)

पुनरुत्थान की पुस्तक में हमने पढ़ा कि पृथ्वी से शांति दूर ले जाई गई थी (प्रकाशित वाक्य 6:4) 2700 वर्ष पहले भी, परमेश्वर ने उपदेशक यशायाह द्वारा घोषित किया था “किन्तु परमेश्वर कहता है, ‘दुष्टों को शांति नहीं है’| (यशायाह 48:22; 57:21)


शैतान कौन है ?

अनेक लोग सोचते है कि वे दूसरों से अच्छे हैं क्योंकि वे एक नैतिक जीवन जीते हैं| हो सकता है कि वे बहुत ज्ञानवान हो और उनके आसपास के अधिकांश लोगों से अधिक सफल हों| दूसरे सोचते हैं कि उनके अच्छे कार्य, उनके बुरे कार्यों को दूर ले जाते है तों न्याय के दिन तराजू उनकी और झुक जायेगा| कितने गलत है वे! जब हम अपने आपकी परमेश्वर से तुलना करते हैं आश्चर्यजनकरूप से हम छोटे हो जाते हैं| जो कोई भी अपने आपको परमेश्वर की परिपूर्णता और पवित्र दया के साथ नापता है उनके सामने स्वार्थी और घमंडी नजर आयेगा| अपने आपकी तुलना करने वाले तुम कौन होते हो?

आजकल बहुत से लोग परमेश्वर की आयतों को नहीं मानते क्योंकि हम अपराधों के आदि हो चुके हैं|

“यहोवा ने देखा कि पृथ्वी पर मनुष्य बहुत अधिक पापी है| यहोवा ने देखा कि मनुष्य लगातार बुरी बातें ही सोचता है|” (उत्पति 6:5)

उपदेशक दाऊद रोये थे “किन्तु परमेश्वर से मुड कर सभी दूर हो गये हैं| आपस में मिल कर सभी लोग पापी हो गये हैं| कोई भी जन अच्छे कर्म नहीं कर रहा है!”(भजन संहिता 14:3, रोमियों 3:10-12)

आज उनके लोग गलत बातों को बिना शर्म, झिझक या प्रायश्चित के सार्वजानिक रूप से करते है| हमारी दुनिया सिदोन और गरार के समान बन गई है और हम इसका हिस्सा हैं| हम अपराध को सहन करते है और जानते है कि परमेश्वर का रोष हम पर गिरेगा “परमेश्वर अभिमानियों का विरोधी है, जबकि दीन जनों पर अपनी अनुग्रह दर्शाता है|” (याकूब 4:6)


हमें शांति परमेश्वर से मिलती है

दयावान परमेश्वर ने उपदेशक यशायाह को यह रहस्य प्रकट किया था कि एक अनोखे बच्चे का जन्म होगा| वह एक चमत्कारी परामर्शदाता और शांति का राजकुमार होगा| उसके अध्यात्मिक राज्य का कहीं अन्त न होगा (यशायाह 9:6-7 )| जब बेतलेहेम में मरियम के पुत्र का जन्म हुआ था, दूत आनंदित हुए और आनंदपूर्वक गा रहे थे, “स्वर्ग में परमेश्वर की जय हो और धरती पर उन लोगों को शांति मिले जिनसे वह प्रसन्न है|” (लुका 2:14)

इस महान दान के बदले में, केवल कुछ लोगो ने अपने आप को परमेश्वर की शांति के लिए खोला, और उनकी चमत्कारिक दया का अनुभव कर रहे हैं| फिर भी परमेश्वर की अनंत शांति, प्रत्येक उस मनुष्य में, जो उनके वादे को स्वीकार करते है और विश्वास करतें हैं, में स्थापित होती है|

जब यीशु मृतकों में से जी उठे थे, वे अपने भयभीत शिष्यों के सामने प्रकट हुए और उन्हें यह कहकर आश्वासन दिया था “तुम्हे शांति मिले” (यूहन्ना 2:19, 21,26)

इस अभिवादन द्वारा, मरियम के पुत्र ने उनको अनंत शांति प्रदान की थी, परमेश्वर के साथ शांति जिसे उन्होंने अनुग्रहपूर्ण भविष्यवाणी के अनुसार अपने प्रायश्चित द्वारा स्थापित किया था : “किन्तु उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिये| उसने हमारी पीड़ा को हमसे ले लिया और हम यही सोचते रहे कि परमेश्वर उसे दण्ड दे रहा है| हमने सोचा परमेश्वर उस पर उसके कर्मों के लिये मार लगा रहा है| किन्तु वह तों उन बुरे कामों के लिये बेधा जा रहा था, जो हमने किये थे| वह हमारे अपराधों के लिये कुचला जा रहा था| जो कर्ज़ हमें चुकाना था, यानि हमारा दण्ड था, उसे वह चुका रहा था| उसकी यातनाओं के बदले में हम चंगे (क्षमा) किये गये थे| किन्तु उसके इतना करने के बाद भी हम सब भेड़ों की तरह इधर-उधर भटक गये| यहोवा द्वारा हमें हमारे अपराधों से मुक्त कर दिए जाने के बाद और हमारे अपराध को अपने सेवक से जोड़ देने पर भी हमने ऐसा किया|” (यशायाह 53:4-6)

यीशु ने दुख भरे प्रतिनिधान द्वारा परमेश्वर से हमारी संधि कराई थी, और हमारे लिये परमेश्वर का पक्ष और शांति मोल ले आये थे|

मरियम के पुत्र ने अपनी आध्यात्मिक शांति स्वीकार करने के लिये कोई दबाव नहीं डाला ना ही तुम पर इसे लादा होगा: परन्तु उन्होंने अपनी शांति को तुम्हे दर्शाया ताकि तुम स्वयं अपनी इच्छा से इसे चुन और स्वीकार कर पाओ और प्रशंसा एवं कृतज्ञता के साथ तुम्हारे विशेषाधिकार स्वीकार कर पाओ|


शांति स्वीकार करना

यीशु ने अपने अनुयायियों को यह कहकर उत्साहित किया “मैं तुम्हारे लिये अपनी शांति छोड़ रहा हूँ| मैं तुम्हे स्वयं अपनी शांति दे रहा हूँ पर तुन्हें इसे मै वैसे नहीं दे रहा हूँ जैसे जगत देता है| तुम्हारा मन व्याकुल नहीं होना चाहिए और न ही उसे डरना चाहिए|” (यूहन्ना 14:27)

शांति के राजकुमार ने अपनी आध्यात्मिक शांति, जो स्वयं उनमे निवास करती है उनको जो उनके वचन पर विश्वास करते है, प्रदान की है| जो कोई भी शांति की आत्मा को प्राप्त करता है “शांति का पुत्र” या “शांति की पुत्री” के रूप में परिवर्तित हो जायेगा| उपदेशक पौलुस ने इस तथ्यपूर्ण रहस्य की अपने स्वयं के अनुभवों द्वारा पुष्टि की थी जब आपने प्रकट किया था “क्योंकि हम अपने विश्वास के कारण परमेश्वर के लिये धर्मी हो गये हैं, सो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमारा परमेश्वर से मेल हो गया है|” (रोमियों 5:1)

वास्तव में खोजने वालो की भीड़ ने शांति की आत्मा को प्राप्त कर लिया है जो कि अब उनके हृदयों में निवास करता है| हम तुमको प्रोत्साहित करते हैं कि परमेश्वर से निवेदन करो कि वे तुममें अपने वादे को पूरा करे, जोकि यीशु के प्रयाश्चित पर आधारित है, यीशु, जिन्होंने अपनी शांति उनको जो यीशु के दावे पर विश्वास करते हैं, और उनसे वादे के अनुसार उपहार प्राप्त करते है, को दी|

शान्ति की आत्मा तुम्हारे दिमाग और ह्रदय से सारे झूठो और अस्वच्छताओं से तुमको स्वच्छ करने की पुष्टि करता है| वह तुमको आश्वासन देता है कि यीशु के प्रायश्चित के कारण तुम्हारे सभी अपराधों को क्षमा किया गया है| यह आशिषित आत्मा, जो तुममें, यीशु द्वारा परमेश्वर से तुम्हारे संधिकरण के लिये निवास करता है, तुममें अनंत शांति की स्थापना और निर्माण करता है|


शांति का निर्माण करने वाले आशिषित हैं

पवित्र आत्मा, यीशु के अनुयायियों में, शुद्ध प्रेम, दैवीय आनंद, अनंत शांति, धैर्यवान दया, सहनसशीलता, अच्छाई, विश्वसनियता और आत्म संयम के साथ भद्रता, विकसित करता है (गलतियों 5:22-23)| क्या तुम नहीं सोचते कि तुम्हारा ह्रदय ऐसी कुछ विशेषताओं का आनंद लेना चाहता है? एक स्वच्छ अध्यात्मिक जीवन की तुम्हारी इच्छा है और इस छिपी हुई इच्छा को तुम ढूंढते रहते हो|

तुम्हारे आपस पास के गले सडे वातावरण के बीच में से, शान्ति के परमेश्वर तुममें अपनी शान्ति के सोते के रूप में तुम्हे परिवर्तित करना चाहते हैं| वह जिसे दैवीय शांति मिलती है, अन्य व्यक्तियों को वह शांति दे सकता है| वह जिसे उसके अपराधों के लिये क्षमा मिली है ने भी उन सभी को जिन्होंने उसके प्रति अपराध किया है, को क्षमा करना चाहिए| यीशु अपनी शान्ति का तुम्हारे परिवार, शाला और कार्यस्थलों तक प्रसार करना चाहते हैं| आत्म केंद्रित मत बनो या अपनी अध्यात्मिक सेवाओं पर गर्व ना करो, क्योंकि मरियम के पुत्र ने तुम्हे विनम्र और क्षीण बनाया है जैसे वे स्वयं थे जब वे हम लोगों में जीवित थे| यीशु ने धार्मिक और बुरे व्यक्तियों की सेवा की थी| वह जो उनके पदचिन्हों पर चलता है उसने अहंकारी नहीं बनना चाहिए परन्तु एक सेवक जैसे यीशु प्रत्येक व्यक्ति के थे, के समान बनना चाहिये|

उपदेशक पौलुस का कहना था परमेश्वर की आशीष व्यक्तिगत रूप से तुम पर तब तक जब तक तुम हर्षोउल्लास के साथ ईश्वर की सेवा करते हो “इसी से परमेश्वर की ओर से मिलने वाली शांति, जो समझ से परे है तुम्हारे हृदय और तुम्हारी बुद्धि को मसीह यीशु में सुरक्षित बनाये रखेगी|” फिलिप्पियों 4:7”


क्या तुम परमेश्वर की शांति को प्राप्त करना चाहते हो?

यदि तुम हमें लिखो, हम यीशु का सुसमाचार ध्यान-मनन और प्रार्थनाओं के साथ भेजेंगे, जिससे तुम्हे परमेश्वर की शांति में स्थिर बने रहने के लिये मदद मिल सकती है|


अपने आसपास परमेश्वर के साथ शान्ति के शुभ समाचार का प्रसार करो

यीशु ने अपनी शिक्षा का, सुख का, इस सारांश के साथ समाप्त किया था: “मैंने ये बातें तुमसे इसलिए कही कि मेरे द्वारा तुम्हें शांति मिले| जगत में तुम्हें यातना मिली है किन्तु साहस रखो, मैंने जगत को जीत लिया है!” (यूहन्ना 16:33)

यदि तुम इस पर्चे से प्रभावित हुए हो और इसे अपने मित्रों या उन लोगों को जो परमेश्वर की शांति को नहीं जानते है, को देना चाहते हो हमें लिखिए, हम तुमको एक सीमित संख्या में इसकी प्रतियां भेजेंगे, जिसे तुम उनको जो शांति को ढूंढते हैं, में बाँट सकते हो|

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