Home
Links
Bible Versions
Contact
About us
Impressum
Site Map


WoL AUDIO
WoL CHILDREN


Bible Treasures
Doctrines of Bible
Key Bible Verses


Afrikaans
አማርኛ
عربي
Azərbaycanca
Bahasa Indones.
Basa Jawa
Basa Sunda
Baoulé
বাংলা
Български
Cebuano
Dagbani
Dan
Dioula
Deutsch
Ελληνικά
English
Ewe
Español
فارسی
Français
Gjuha shqipe
հայերեն
한국어
Hausa/هَوُسَا
עברית
हिन्दी
Igbo
ქართული
Kirundi
Kiswahili
Кыргызча
Lingála
മലയാളം
Mëranaw
မြန်မာဘာသာ
नेपाली
日本語
O‘zbek
Peul
Polski
Português
Русский
Srpski/Српски
Soomaaliga
தமிழ்
తెలుగు
ไทย
Tiếng Việt
Türkçe
Twi
Українська
اردو
Uyghur/ئۇيغۇرچه
Wolof
ייִדיש
Yorùbá
中文


ગુજરાતી
Latina
Magyar
Norsk

Home -- Hindi -- Romans - 017 (He who Judges Others Condemns Himself)
This page in: -- Afrikaans -- Arabic -- Armenian -- Azeri -- Bengali -- Bulgarian -- Cebuano -- Chinese -- English -- French -- Georgian -- Greek -- Hausa -- Hebrew -- HINDI -- Igbo -- Indonesian -- Javanese -- Kiswahili -- Malayalam -- Polish -- Portuguese -- Russian -- Serbian -- Somali -- Spanish -- Tamil -- Telugu -- Turkish -- Urdu? -- Yiddish -- Yoruba

Previous Lesson -- Next Lesson

रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 1: परमेश्वर की धार्मिकता सभी पापियों को दण्ड देती है और मसीह में विश्वासियों का न्याय करती है और पापों से मुक्त करती है। (रोमियों 1:18-8:39)
अ - सारा संसार शैतान के तले झुका है और परमेश्वर अपनी पूरी धार्मिकता में न्याय करेंगे (रोमियों 1:18-3:20)
2. परमेश्वर का क्रोध यहुदियों के विरोध में प्रकट हुआ (रोमियो 2:1 - 3:20)

अ) वह जो दूसरों का न्याय करता है वह स्वयं दोषी है (रोमियो 2:1-11)


रोमियो 2:6-11
6 वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा| 7 जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में हैं, उन्हें वह अनंत जीवन देगा| 8 पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, बरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा| 9 और क्लेश और संकट हर एक मनुष्य के प्राण पर जो बुरा करता है आएगा, पाहिले यहूदी पर फिर यूनानी पर| 10 पर महिमा और आदर और कल्याण हर एक को मिलेगा,जो भला करता है, पाहिले यहूदी को फिर यूनानी को| 11 क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता|

प्रिय भाईयों, क्या आप परमेश्वर के सिद्धांतों को जानते हैं, सभी लोग उस निर्णायक समय से भाग रहे हैं, परन्तु एक विद्वान और भिन्न मनुष्य वह है जो अपने आप को उस समय के लिए तैयार करता है| कृपा के उपदेशक हमारे सामने पूरी तरह से प्रकट करते हैं कि, अंतिम निर्णय में, न्याय के आधार के रूप में,हमारे अच्छे और बुरे कार्यों की जाँच-परख होगी| मत्तीरचित सुसमाचार 25 में, यीशु पूरी तरह से समझाते है कि प्रेम का अभ्यास उन लोगों के साथ जो अनपढ़, छोटे से छोटे, घृणित, गरीब और साधारण हैं, ही वह वस्तु है जो कि परमेश्वर की दृष्टी में आनंददायी है| यीशु ने उपवासों, प्रार्थनाओं, तीर्थस्थानों की यात्राओं, और अच्छे कार्यों के रूप में भिक्षादान के बारे में नहीं कहा है बल्कि जरूरतमंद पर दयालुता के अभ्यास के लिए कहा है|

प्रेम के तुम्हारे गुप्त कार्यों में, यह दिखता है, चाहे तुम्हारा हृदय कठोर या नम्र है घमंडी या दयावान है| क्या आप एक सभ्य मनुष्य हैं, जो साधारण और अबोध लोगों के लिए तिरस्कार एवं अनादर दिखाते हैं? क्या यीशु का प्यार तुम्हें वहा ले गया है जो अनपढ़, छोड़ दिये गए, विधवा, और अनाथ हैं? तुम्हे केवल तुम्हारे प्रेमभरे कार्यों के लिए पुरुस्कृत किया जायेगा, ना कि तुम्हारी भक्ति और धर्म के अत्यधिक सख्त रीति रिवाजों के लिए|

पौलुस तुम्हे परमेश्वर के प्रेम को तुम्हारे हृदयों में उंडेलने का केवल एक रास्ता दिखाते हैं| वह जो अपने दिमाग को परमेश्वर की महिमा की ओर निर्देशित करता है और क्षणिक अमीरी और समाप्त होने वाले सम्मान के पीछे नहीं भागता है, परमेश्वर के नजदीक आता है, और उनकी कृपा में अपने आप को बदलता है| वह जो परमेश्वर की महिमा को ढूंढता है, अपने अहंकारीपन में टूट चुका है, और स्वयं को कोई सम्मान नहीं देता है| ऐसा एक पछताने वाला मनुष्य अपने हृदय को परमेश्वर की क्षमा की ओर खोलता है और उनके अनुग्रह को एक पराक्रमी ढाल के समान सख्ती से पकड़ता है| हर कोई जो जिसे अपनी नाशवानता का ज्ञान है, अनंत जीवन के लिए अपेक्षा करता है, और इसे विश्वास से ग्रहण करता है, अनंत आत्मा की योजनाओं में साझीदार है| ऐसा है तो भी, सावधान, तुम तुम्हारे अपने कार्यों से बचे हुए नहीं हो, परन्तु परमेश्वर के लिए तुम्हारी अपेक्षा, तुम्हारी कमजोरी में, उनकी शक्ति तुममें सींचती है, और उनका प्रेम तुम्हारी आत्मा पर आजाता है कि तुम उनके प्रेम की प्रेरणा के साथ जी सको| क्या तुम परमेश्वर को ढूंढोगे और हमेशा जियोगे?

वह जो बुरा करता है वह इसलिए नहीं कि, वह पहले से निश्चित क्रोध के रूप में पैदा हुआ है और विनाश के लिए पैदा हुआ है, बल्कि इसलिए कि वह सच्चाई की आज्ञा का पालन करना नहीं चाहता है| बुरे कार्य अचानक से नहीं होते है| वह लम्बे, गलत कार्यों के विकास का प्रतिफल है| हमारा अन्तःकरण अनुचित कार्यों का विरोध करता है| यह हमें धिधकारता है और सतर्क करता है, परमेश्वर की पवित्र आत्मा को दुःख ना देने के लिए| अब तक भी जो ढीट बना हुआ है, और परमेश्वर की आवाज को अनसुनी करता है, अवज्ञा की आत्मा को समर्पण कर रहा है, बेशर्मी और अधीरजता से अपराध करता है, अपने अन्तःकरण का गला घोंटता है| हमारे बुरे कार्य हमारे आसपास के आकर्षणों की ओर हमारे झुकाव का नतीजा है, ऐसे जैसे कि बुरे चलचित्र, पुस्तके और बुरे लोगों का साथ और यहाँ तक कि हमारे अपने हृदय के बुरे विचार, जो कि हमें बुराई की ओर आकर्षित करते है|

जो कोई भी परमेश्वर की आत्मा के खिचने का विरोध करता है वह न्याय में गिरता है, परमेश्वर के उपहार के विरोध में अपने हृदय को बंद करता है, उस सबसे ऊँचे परमेश्वर से घृणा करता है, उनके क्रोध का प्रेरक है| परमेश्वर की सजा, निश्चित रूप से उन सभी पर जो आज्ञा का उल्लंघन करते है गिरती है, समस्याएं और क्लेश लेकर आती है| क्या तुम मसीह की शक्ति में जी रहे हो या तुम पवित्र न्यायाधीश के रोष के नीचे तैर रहे हो? तुम इस प्रश्न का उत्तर देने से बच नहीं सकते| तो, तैयार रहो, और अपने आप को अच्छे और बुरे को अलग करने वाले दिन के लिए तैयार करो|

आपके इस वर्णन में कि पहले न्याय यहूदियों का होता है, पौलुस का कहने का अर्थ है कि पुराना नियम उन पर एक गंभीर जिम्मेदारी रखता है और परमेश्वर उन लोगों को ही पहले हिसाब के लिए बुलाएंगे| पवित्र आत्मा के कार्यों द्वारा जो कोई भी यहुदी परमेश्वर के निकट आता है, वह उस एकमात्र तेजस्वी की महिमा के साथ चमकेगा| परन्तु उनमे से जो कोई भी लगातार अपने अहंकारीपन में रहेगा अन्य लोगों से पहले नर्क में लाया जायेगा क्योंकि वह परमेश्वर की आत्मा को यह अनुमति नहीं देता कि वह उसके अंदर की अवज्ञा की आत्मा में परिवर्तन करें|

यूनानियों, मंगोलियों और हब्शियों को, उनके सभी वशों और भाषाओँ के साथ, परमेश्वर के निकट जाने का अधिकार होगा क्योंकि वह मनुष्यों, सभी मनुष्यों के सृष्टिकर्ता है और वह वशंता को बढ़ावा नहीं देते| वे सभी उनके सामने एक समान है| यहाँ तक कि अनेक अमीर बुद्धिमान लोगों के प्रभाव, उनकी सुंदर महिमा के सामने फीके पड जायेंगे| हम सबका निर्माण करने वाले उस सृष्टिकर्ता के सामने हम सब कुछ नहीं है| शायद घरों को सँभालने वाली माताएं और सीधे सादे भाई, मसीह की आत्मा में आत्मा में, बड़े पादरियों, महान नेताओं, और प्रसिद्ध सितारों से कही अधिक चमकेंगे|

परमेश्वर हमें जाचेंगे उनके प्रेम के नाप के साथ| जो कोई भी स्वयं को, दैविक प्रेम की रीति में बदलने की अनुमति देता है वह स्वीकार किया जायेगा| परन्तु जो कोई की भी अपने हृदय को कठोर कर्ता है और स्वयं को अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक प्रेम करता है, वह परमेश्वर से दूर, पूर्ण रूप से तिरस्कार में जा गिरेगा| परमेश्वर न्याय करने वाले एवं ईमानदार है| वहाँ उनके पास कोई पक्षपात नहीं है|

हम जानते है कि कोई भी परमेश्वर के समान पवित्र और दयालु नहीं है| परन्तु जो कोई भी प्रेम के झरने की ओर बढता है, धार्मिक बनता है, क्योंकि स्वर्गीय पिता की शक्ति उन सब में परिवर्तन कर देती है जो उन्हें पाते हैं| अब तक भी यह ना सोचना कि कुछ बदलाव और तैयारियों के कारण परमेश्वर की दया तुरंत मिल जायेगी| घमंड, गर्व के ऊपर जितने के लिए कुछ समय लगता है, और केवल कुछ ही लोग, उन लोगों की, जो गिर गये हैं, की सेवकाई करना चाहते हैं| इसीलिए यीशु ने हमसे पहले भ्रष्टाचारियों और कर वसूली करने वाले अधिकारियों के साथ खाना खाया, कि हम कठोर हृदयों को नकार सकें, एक कोमल हृदय को प्राप्त करें, और पापियों से प्रेम करे जैसे परमेश्वर ने उनसे किया|

क्या तुम जानते हो उन लोगों के पुरुस्कार के बारे में, जो लंबी पीड़ा के साथ प्रेम के कार्यों को लगातार करते हैं? परमेश्वर उन सबको जो अनुग्रह की आत्मा के सामने अपने आपको उजागर करते हैं अपनी महिमा के साथ वस्त्र पहना देंगे| इसलिए, मनुष्य का दैवीय अन्त, उनके प्रथम ढाँचे से कम नहीं है| उन्होंने इन्सान को अपने प्रतिरूप में बनाया था और अपनी सारी महिमा एवं विशेषताएँ इस बर्तन में उंडेलना चाहा था| महिमामयी उन लोगों का आदर करने हैं जो अशिक्षितों पर दया करते हैं| उन की शांति उन लोगों के हृदय में निवास करती है जो कि परमेश्वर की धार्मिकता के कारण दुतकारे और नकारे जाते है|

उन कोमल हृदयी लोगों को जो परमेश्वर के अंदर की महिमा में अपने आप को बदल चुके है, को उन लोगों से जो पवित्र आत्मा के खीचने पर भी अपने हृदय को कठोर कर चुके, जोकि नरक के कभी न समाप्त होने वाले संताप में बहुत जल्दी जायेगे, से अलग करना ही अन्तिम न्याय है| अपने आप को धोखा मत दो, परमेश्वर छल नहीं रहे हैं, क्योंकि मनुष्य जो बोयेगा वही काटेगा|

प्रार्थना: ओ परमेश्वर मेरा प्रेम बहुत कम है और मेरा स्वार्थ बहुत अधिक है| मै आपके सामने अस्वच्छ हूँ| मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा करें| मेरी आँखे आपके प्रेमभरे कार्यों की ओर खोलिए| बलिदान और अच्छे कार्यों के जीवन के लिए मेरा मार्गदर्शन करें क्योंकि मुझमें कुछ भी अच्छा नहीं है| मुझे अपने आपसे बचाये, और मेरा हृदय अपने प्रेम से भर दे कि मै उन लोगों को पा सकूँ, जो घृणित हैं और भीड़ के साथ बैठते हैं प्रेम करूँ और आशिश दे सकूँ वैसे ही जैसे आप उन भटके हुए लोगों को बचाने के लिए देखते थे|

प्रश्न:

21. अंतिम न्याय के दैवीय सिद्धांत क्या है?

www.Waters-of-Life.net

Page last modified on March 05, 2015, at 11:45 AM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)