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Home -- Hindi -- John - 031 (Jesus leads his disciples to see the ready harvest; Evangelism in Samaria)

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Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
क - मसीह का पहली बार यरूशलेम को चले आना (यूहन्ना 2:13 – 4:54 ) - सही उपासना क्या है?
4. यीशु सामरिया में (यूहन्ना 4: 1-42)

ब) यीशु अपने चेलों को पकी हुई फसल दिखाते हैं (यूहन्ना 4:27-38)


यूहन्ना 4:31–38
“31 इस बीच उसके चेलों ने यीशु से यह विनती की, “हे रब्बी, कुछ खा ले |” 32 परन्तु उसने उनसे कहा, “मेरे पास खाने के लिये ऐसा भोजन है जिसे तुम नहीं जानते |” 33 तब चेलों ने आपस में कहा, “क्या कोई उसके लिये कुछ खाने को लाया है ?” 34 यीशु ने उनसे कहा, “ मेरा भोजन यह है कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूँ और उसका काम पूरा करूँ | 35 क्या तुम नहीं कहते, ‘कटनी होने में अब भी चार महीने पड़े हैं ? ‘ देखो, मैं तुम से कहता हूँ ,अपनी आँखें उठा कर खेतों पर दृष्टि डालो कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं | 36 काटने वाला मजदूरी पाता और अनन्त जीवन के लिये फल बटोरता है, ताकि बोनेवाला और काटनेवाला दोनों मिलकर आनन्द करें | 37 क्योंकि यहाँ पर यह कहावत ठीक बैठती है : ‘ बोनेवाला और है और काटनेवाला और |” 38 मैं ने तुम्हें वह खेत काटने के लिये भेजा जिसमें तुम ने परिश्रम नहीं किया और तुम उसके परिश्रम के फल में भागी हुए |”

उस पापी स्त्री की आत्मा को मुक्ती दे कर उसे अनन्त जीवन का मार्ग दिखाने के बाद यीशु अपने चेलों की तरफ मुड़ कर उन की भी ऐसी ही सेवा करना चाहते थे | इन चेलों के विचार अब भी सांसारिक वसतुओं पर टिके हुए थे | परमेश्वर की आत्मा ने उस स्त्री के दिल में जो परिवर्तन लाया था उस से वे प्रसन्न नहीं हुए | इसमें संदे ह नहीं कि खाना और पीना जीने के लिये आवयश्क है, परन्तु रोटी से भी अधिक आवयश्क एक भोजन है और पानी से भी अधिक शक्तीशाली और संतोषजनक कोई और वस्तु है | वो इन बातों को अब तक समझ न पाये थे | यीशु के पीछे चल कर उन्होंने पवित्रता प्राप्त की फिर भी वे उस स्त्री से बेहतर ना थे क्योंकी जब तक कोई व्यक्ती ऊपर से जन्म नहीं लेता, परमेश्वर का राज्य नहीं देख सकता |

यीशु ने उन्हें आस्मानी और आत्मिक भोजन का अर्थ समझाया जो सांसारिक भोजन से अधिक बेहतर तौर पर मनुष्य की भूख मिटाता है | यीशु लोगों को आशीष देने और अपने पिता की इच्छा पूरी करने में सब से अधिक सन्तुष्ट होते थे |

यीशु परमेश्वर के प्रेरित थे | वो स्वतन्त्र पुत्र थे परन्तु अपने पिता के आज्ञाकारी थे और प्रसन्नता से उसकी इच्छा पूरी करते थे क्योंकि परमेश्वर प्रेम है | जो व्यक्ती प्रेम में बना रहता है वो परमेश्वर में बना रहता है | मसीह की आज्ञाकारी का मतलब यह नहीं होता कि मसीह अपने पिता से किसी प्रकार से कम थे, बल्की यह आप के प्रेम की विशालता को सिद्ध करता है | पुत्र ने कहा कि संसार के उद्धार का कार्य उसके पिता का है | परन्तु उन्हों ने स्वंय वो काम पूरा किया | प्रभु ने अपने पिता की महीमा की जैसे पहले पिता ने सारी वस्तुएं प्रभु को दी थीं | पिता अपने पुत्र को महत्व देता है और उसे अपने दाहिने हाथ को बैठा लिया है और उसे आस्मान और पृथ्वी पर पूरा अधिकार भी दे दिया है |

परमेश्वर की इच्छा यह थी कि इस कुंए के पास उस घृणित स्त्री को उद्धार मिले | उद्धार केवल यहूदियों के लिये ही नहीं बल्की सारी, मानव जाती के लिये है | सब लोग भ्रष्ट और परमेश्वर के अनुग्रह के भूखे थे | इस स्त्री से मिलने के बाद यीशु ने उस में कुशलता और उसके अंत:करण में क्षमा पाने की भूख पाई | परमेश्वर की तरफ से क्षमा पाने की इच्छा यहूदियों से अधिक इस स्त्री में दिखाई दी | अचानक आप को सारी मानव जाती एक तैयार पके हुए गेहूं के खेत की तरह नज़र आई जिसमें पवित्र आत्मा लहरा रहा था |

लेकिन चेले अभी भी उस खेत को ना देख सके जो संसार के खेत का प्रतीक था जिस की फसल काटने के लिये तैयार थी |यीशु शीत ॠतु में सामरिया पहुंचे थे और फसल कई महीनों के बाद काटने योग्य होती है | यीशु शायद यह कहना चाहते हों की तुम ऊपर ही ऊपर से घटनाओं को देखते हो जो स्पष्ट हैं | मनुष्य की आत्मा की गहराई में छिपे हुए सत्य देखो जैसे दबे हुए प्रश्न, भरपूर जीवन की इच्छा, और परमेश्वर की खोज इत्यादी | आज फसल काटने का समय है | अगर बुद्धिमानी और प्रेम से उद्धार का संदेश दिया जाये तो कई लोग परमेश्वर के पुत्र को अपना उद्धारकर्ता बनाने के लिये उत्सुक होंगे |

अन्यथा तुम सोचोगे कि मेरे आजू बाजू जो लोग हैं वो सब ज़िद्दी, उग्रवादी या अंधे हैं | चेले भी ऐसा ही अनुभव करते थे | वे ऊपरी तौर पर न्याय करते थे, परन्तु यीशु दिलों में झांकते थे | आपने उस पापी स्त्री की निन्दा नहीं की जिसने शुरू में आपके साथ एक अपरिचित व्यक्ती के जैसा व्यवहार किया | आप उससे वार्तालाप करने से ना हिचकिचाये, जब की वो आत्मिक प्रवचन समझ ना सकती थी, फिर भी उसे बड़े साधारण और स्पष्ट शब्दों में सारी बातें समझा दी | इस तरह आप ने पवित्र आत्मा की अगुवाई के द्वारा उसकी मदद की और उसमें आराधना की यादें और मसीह के कर्तव्य की महानता जगाई | यहाँ तक की वो प्रचारक बन गई | यह कैसा चमत्कारिक परिवर्तन हुआ ! अब वो भक्तिपूर्ण निकुदेमुस से भी अधिक पवित्र आत्मा के कामों के नज़दीक थी | जो व्यक्ती परमेश्वर की सेवा करना चाहता है उसे मसीह के प्रेमपूर्ण आन्तरिक ज्ञान की ज़रूरत होती है ताकी वो अपने क्षेत्र में उन लोगों को देख सके जो परमेश्वर की पापहीनता के भूखे होते हैं | तुम उनकी कठोरता और आशिष्ठता की चिंता ना करो | परमेश्वर उनसे प्रेम करता है और यीशु उन्हें बुलाते हैं | उनके दिल धीरे धीरे अनुग्रह से प्रकाशित हो जायेंगे | तुम कब तक संसार में शांत रहेंगे जहाँ बहुत लोग परमेश्वर की खोज में हैं ?

जब कोई व्यक्ती मसीह के पास आता है तो वो अनन्त जीवन पाता है और उसका दिल आनन्दित हो जाता है | इसी तरह एक पश्चताप करने वाले पापी के लिये स्वर्ग में दूतों में खुशी मनाई जायेगी | परमेश्वर चाहता है कि सब उद्धार पायें और सच्चाई की पहचान तक पहुंचें | जो लोग परमेश्वर की इच्छा पर चलते हैं और उसके अनुसार दूसरों के सामने बड़ी नम्रता के साथ प्रचार करते हैं वो स्वंय अपनी आत्मा को सन्तुष्ट करेंगे और प्रसन्न हो जायेंगे | जैसा की स्वंय यीशु ने अपने विषय में कहा : “मेरा भोजन यह है कि जिसने मुझे भेजा है उसकी इच्छा पूरी करूं और उसका काम पूरा करूं |”

यीशु ने चेलों से यह कहते हुए अपना प्रवचन खतम किया : “मैं तुम्हें फसल काटने के लिये भेज रहा हूँ |” बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने पहले ही से पश्चताप करने का उपदेश दे कर उजाड़ खेतों में हल चलाया था | यीशु खुद गेहूं का वो बीज हैं जो परमेश्वर ने पहले से तैयार की हुई धरती में बोया था | हम आज आप की क्रूस की मृत्यु के फल चुन रहें हैं | अगर यीशु आज तुम को फसल काटने के लिये बुलायें तो याद रखें यह आप की फसल नहीं है | यह प्रभु का काम है | आत्मा के फल मसीह की शक्ती से पक जाते हैं | हम सब आपके लाभहीन सेवक हैं | फिर भी आप हमें अपनी दिव्य सेवा में भागी होने के लिये बुलाते हैं | कभी बीज बोने, कभी हल चलाने या तो कभी फसल काटने के लिये | यह बात याद रखना अच्छा होगा की हम परमेश्वर के पहले सेवक नहीं हैं | हम से पहले भी कई लोगों ने आँसूं बहा कर परिश्रम किया है | उन की प्रार्थनायें आस्मान पर लिखी गई हैं | तुम परमेश्वर के दूसरे सेवकों से अधिक कुशल नहीं हो और ना ही तुम्हारा व्यवहार उनसे अधिक अच्छा है | तुम हर श्रण मसीह के अनुग्रह से जीते हो जिसके कारण तुम क्षमा पाते हो | तुम सेवा में पवित्र आत्मा के आज्ञाकारी बने रहने का प्रयास करो | फसल काटते समय प्रसन्नता और धन्यवाद के साथ आप की सेवा कीजिये और फसल काटने वाले दूसरे साथियों के साथ मिल कर अपने स्वर्गिय पिता की महीमा करो जो पुकार कर कहते हैं कि “तेरा राज्य आये क्योंकी राज्य, पराक्रम और महीमा सदा तेरे हैं | आमीन |”


क) यीशु सामरिया में (यूहन्ना 4:39-42)


यूहन्ना 4:39–42
“39 उस नगर के बहुत से सामरियों ने उस स्त्री के कहने से यीशु पर विश्वास किया; क्योंकि उसने यह गवाही दी थी : ‘उसने सब कुछ जो मैं ने किया है, मुझे बता दिया |’ 40 इसलिये जब ये सामरी उसके पास आए, तो उससे विनती करने लगे कि हमारे यहाँ रह | अत: वह वहाँ दो दिन तक रहा | 41 उसके वचन के कारण और भी बहुतसे लोगों ने विश्वास किया 42 और उस स्त्री से कहा, “अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते; क्योंकि हम ने आप ही सुन लिया , और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है |”

इस स्त्री की गवाही सुन कर लोगों की भीड़ दौड़ते हुए यीशु के पास पहुंची | इन लोगों में यीशु को वो सफ़ेद खेत दिखाई दिये जिनकी फसल कटाई के लिये तैयार थी | आप ने उन्हें विश्वास और अनन्त जीवन के विषय में बताया और दो दिन वहां रहे | आप के चेले आत्मा की फसल काटने वाले के समान लोगों के घर गये | मसीह की व्यक्ती और वचन ने उस भीड़ पर गहरा प्रभाव डाला | उन्होंने अनुभव किया की मसीह में होकर परमेश्वर हमारे दुखी संसार में आया है ताकी पापियों का उद्धार हो | यही वो सामरी थे जिन्होंने पहली बार यीशु को “संसार का उद्धारकर्ता” की उपाधी दी | उन्हें अनुभव हुआ की यीशु केवल अपने लोगों का उद्धार करने के लिये ही नहीं आये बल्की आप सब लोगों के पापों को उठा रहे थे | आप के प्रेम की शक्ती का कोई अन्त नहीं है | आज भी आप पापियों का उद्धार कर उन्हें पापों की दासता और शैतान की जकड से स्वतन्त्र कर उनकी जीवन रक्षा कर सकते हैं | आप सच में इस संसार के न्यायाधीश हैं | कैसर को रोम में “दुनिया का मुक्तीदाता और रक्षक” की उपाधी दी गयी थी | इन सामरियों ने देखा की यीशु सभी कैसरों से महान हैं जो अपने लोगों को अनन्त शान्ती प्रदान करते हैं |

प्रार्थना:यीशु हम आपका धन्यवाद करते हैं क्योंकी आप ने उस पापी स्त्री के जीवन का पुन:निर्माण किया और हम सब को दिखाया की आत्मा की आज्ञाकारी, आराधना से बहतर है | हमें ऐसी समझ दीजिये कि हम बगैर विलंब किये प्रसन्ता और चुस्ती से आप कि इच्छा पूरी करें और भटके हुए लोगों को आपके उद्धार का मार्ग दिखाएँ ताकी वो आप पर विश्वास करके अनन्त जीवन पायें |

प्रश्न:

35. हम किस तरह यीशु के लिये उपयोगी फसल काटने वाले बन सकते हैं ?

www.Waters-of-Life.net

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