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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
ब - यीशु जीवन की रोटी हैं (यूहन्ना 6:1-71)
4. यीशु लोगों को चुनने का मौका देते हैं, “स्वीकार करो या ठुकराओ” (यूहन्ना 6:22-59)यूहन्ना 6:51 क्या तुम ने कभी रोटी को चलते फिरते या बात करते हुए देखा है ? यीशु अपने आप को जीवन की रोटी कहते हैं | वो रोटी जो जीवित है | आप आस्मान से उतरी हुई पदार्थीय रोटी के विषय में नहीं बल्की आत्मिक और दिव्य खाने के विषय में कह रहे हैं | आप का मतलब यह नहीं कि हम आप का मांस खायें | हम मनुष्य भक्षक नहीं हैं | बहुत जल्दी यीशु अपनी मृत्यु के विषय में बातें करने लगे | वो आप की आत्मिकता नहीं थी जिस ने मानव जाती को पाप से मुक्ती दी बल्की वो आप का अवतरण था | आप मनुष्य बने ताकी हमारे पापों के लिये अपनी जान दें | आप के अनुयायी अप्रसन्न हुए क्योंकी आप एक साधारण व्यक्ती थे और एक विनम्र घराने के थे |अगर आस्मान से कोई स्वर्गदूत प्रगट होता तो उन्होंने तालियाँ बजा कर उसका स्वागत किया होता | यीशु ने लोगों को समझा दिया कि आपकी महीमा और आत्मा उनका उद्धार नहीं कर सकती परन्तु आपका शरीर जो उनके लिये बलिदान किया जायेगा यह काम करेगा | यूहन्ना 6:52-56 यहुदियों में आप पर विश्वास करने वाले और अविश्वासी दोनों तरह के लोग थे | दोनों समूह बड़े हिंसक रूप से विवाद करने लगे | यीशु के शत्रु आप का मांस खाने और लहू पीने के विचार से घ्रणा से भर गए | यीशु ने दोनों समुहदायों में फूट डाल दी ताकी उन लोगों को अलग कर लेते जो आप पर विश्वास रखते थे | आप ने विश्वासी, प्रथम समुह्दाय के प्रेम को परखा परन्तु दूसरे समुह्दाय को जताया कि वो अंधे हैं | आप ने यह जरूर कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जब तक तुम मेरा मांस ना खाओ और लहू ना पियो , तुम में अनन्त जीवन नहीं | जब तक तुम मेरे अस्तित्व में सहभागी नहीं होते, तुम मृत्यु और पाप में सदा बने रहोगे |” ये शब्द उनके कानों में गूंज रहे थे और उन्हें लगा जैसे यीशु धर्म द्रोही हैं | मानो यीशु मनुष्य होकर उन्हें ललकार रहे थे :”मुझे जान से मार डालो और मेरा मांस खा लो क्योंकी मैं स्वंय एक आश्चर्यकर्म हूँ | मेरा शरीर रोटी है, यानी वो दिव्य जीवन जो तुम्हारे लिये अर्पण किया गया है | उनका लहू उबलने लगा और वे क्रोध से जलने लगे | यधपि जिन लोगों ने आप पर विश्वास किया वो पवित्र आत्मा के द्वारा आप की ओर खींचे गए और इस तरह संदेहजनक विश्वास पर विश्वास कर के यीशु के वचन का पूरा पूरा लाभ उठाने के लिये आप पर विश्वास करने लगे | अगर उन्होंने फसह के पर्ब पर थोडा भी विचार किया होता तो जान जाते थे कि बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने आप को परमेश्वर का मेमना कहा था | सभी यहूदी फसह के पर्ब में भाग लेते हैं और इस अवसर पर बलिदान किये हुए मेमने का मांस खाते हैं | इस बलिदान में स्वंय सहभागी होकर परमेश्वर के क्रोध को टाला जाता था | यीशु ने इस मेमने की ओर इशारा करते हुए कहा कि परमेश्वर का सच्चा मेमना स्वंय आप हैं जो दुनिया के पाप उठा ले जाता है | आजकल हम जानते हैं कि प्रभु भोज के चिन्ह इस बात के प्रतीक होते हैं कि हम मसीह के मांस को पचन कर लेते हैं और आप का लहू हमें पाप से पवित्र करता है | हम इस अनुग्रह के लिये आप का धन्यवाद करते हैं | उस समय गलीली इस रहस्य को नहीं जानते थे, और आपके वचन उनके मन को चकित कर रहे थे | यीशु उनके विश्वास को परख रहे थे परन्तु उनकी हठ क्रोध में भड़क उठी | हम बड़ी प्रसन्नता और धन्यवाद के साथ मसीह की अराधना करते हैं क्योंकी आप ने प्रभु भोज के चिन्हों के द्वारा हम को समझा दिया कि आप किस तरह अपनी आत्मा के द्वारा हमारे अन्दर आते हैं | आपके बलिदान के बिना हम परमेश्वर के निकट नहीं पहुंच सकते और ना ही आप में जी सकते हैं | हमारे पापों की परिपूर्ण क्षमा हमें इस योग्य बना देती है कि आप हमारे अन्दर आ सकते हैं | आप पर विश्वास करने से यह आश्चर्यकर्म होता है और हम आप के वैभवशाली पुनरुत्थान के सहभागी बन जाते हैं | हमारा उद्धार करने के कारण हम मेमने की अराधना करते हैं | मसीह हमारे लिये क्रूस पर जान देकर सन्तुष्ट नहीं हुए बल्की आप हमें परिपूर्ण करना चाहते हैं ताकी हम संत बन कर हमेशा के लिये जियें | यूहन्ना 6:57-59 यीशु हमें शक्तीशाली परमेश्वर में जीवन के विषय में बताते हैं, जो जीवित पिता है | वो अनन्त से अनन्त तक सब प्रेम का पिता है | मसीह पिता में रहते हैं और स्वंय अपने लिये नहीं बल्की पिता के लिये जीवित रहते हैं | आप के जीवन का उद्देश स्वंय अपनी मनोकामनायें पूरी करना नहीं है बल्की अपने पिता की संपूर्ण आज्ञाकारिता में है जिसने आप को अपनी जात से जन्म दिया | पुत्र पिता की सेवा करता है और पिता पुत्र से प्रेम करता है और अपनी परिपूर्णता में पुत्र के द्वारा काम करता है | मसीह ने क्रोधित विरोधियों पर अपने और पिता की एकता का रहस्य प्रगट किया | आप ने लोगों को वैभवशाली वचन दिया: “जिस तरह मैं पिता के लिये जीता हूँ और उसमें हूँ उसी तरह तुम्हारे लिये और तुम में जीना चाहता हूँ, ताकी तुम मेरे लिये और मुझ में जियो |” प्यारे भाई, क्या तुम मसीह के साथ ऐसा घनिष्ठ संबंध बनाने के लिये तैयार हो? क्या तुम अपने अस्तित्व में सारी महत्वकांक्षा और शक्ती के साथ मसीह को स्वीकार करोगे या नहीं ? क्या तुम अपने अंत:करण में मरना चाहोगे ताकी प्रभु तुम में जियें ? यीशु उपयोगी समाज सुधार के लिये इस दुनिया में नहीं आये ना ही आप हमारी सहायता के लिये धन भेजते हैं | ना गांव सुधार की योजना बनाते हैं | नहीं, आप दिलों को बदलते हैं ताकी मनुष्य हमेशा इश्वरिये जीवन जिये | आपने विश्वासियों को आप की दिव्यता में सहभागी होने का निवेदन किया | इस तरह आप हम में ना मरने वाले मनुष्य को जन्म देते हैं, जो जीता है, प्रेम करता है और सेवा करता है | उसका उद्देश परमेश्वर होता है | इस सुसमाचार के छटवे अध्याय को फिर से पढिये और गिन लीजिये की इस अध्याय में मसीह ने कितनी बार “पिता”, “जीवन”, और “पुनरुत्थान” और उनसे विकसित शब्दों का प्रयोग किया है | तुम तुरन्त यूहन्ना के सुसमाचार का सारांश समझ पाओगे | मसीह पर विश्वास करने वाला व्यक्ती पिता की आत्मा में जीता है और मसीह के साथ पुनरुत्थान की ओर बढ़ता है | प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु मसीह, हमारे पास आने और हमें प्रसन्नता से परिपूर्ण करके पिता का जीवन प्रदान करने के लिये हम आपका धन्यवाद करते हैं | हमारे पापों को क्षमा कीजिये और हमें पवित्र कीजिये ताकी बड़े धैर्य और प्रेम से आपकी सेवा कर सकें और बड़ी नम्रता के साथ आपके पीछे होलें और केवल अपने लिये ही ना जियें |' प्रश्न: 49. यीशु ने अपने अनुयायीयों से यह क्यों कहा कि उन्हें आप का मांस खाना होगा और आपका लहू पीना होगा?
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