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Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
ब - मसीह अपने चेलों को पश्चताप के घेरे से निकाल कर शादी की खुशी में ले जाते हैं (यूहन्ना 1:19 - 2:12)

1. यहुदियों के बड़े न्यायालय का प्रतिनिधी मंडल बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना से प्रश्न पूछता है (यूहन्ना 1:19-28)


यूहन्ना 1:22-24
“22 तब उन्हों ने उस से पूछा, फिय तू कौन है? ताकी हम अपने भेजने वालों को उत्तर दें; तू अपने विषय में क्या कहता है? 23 उस ने कहा, मैं जैसा यशायाह भविष्यवक्ता ने कहा है, जंगल में एक पुकारने वाले का शब्द हूं कि तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो | 24 ये फरीसियों कि और से भेजे गए थे |”

प्रतिनिधी मंडल ने अपने प्रश्न नोकदार तीरों की तरह बपतिस्मा देनेवाले यूहन्ना के ऊपर बरसाये | यह प्रश्न उन सैधान्तिक असहमती के विषय में थे जिन की मसीह के दुबारा आने से पहले उभर आने की अपेक्षा थी | परन्तु जब यूहन्ना ने मसीह, एलिय्याह और मूसा ने की हुई भविष्यवाणी के अनुसार भविष्यवक्ता होने से इन्कार किया तो उनकी नज़रमें यूहन्ना की महत्वता और उन की तरफ से कोई ख़तरा ना रहा | लेकिन फिर भी उन्होंने यह जानने का आग्रह किया कि वो कौन थे और यह सन्देश किस ने उन्हें सौंपा | उनका लक्ष्य यह था कि सारी परिस्थिती का संपूर्ण अध्यन किये बिना वो मुख्य न्यायालय के पास लौट कर ना जायेंगे |

इन प्रश्नों का यशायाह की भविष्यवाणी से कोई सम्बंध न था (यशायाह 40: 3), परन्तु पवित्र आत्मा ने यूहन्ना का ध्यान इस पाठ की तरफ प्रवृत किया | उन्होंने अपने आप को जंगल में पुकारने वाली आवाज़ बताया जो कह रही थी की प्रभु के लिये रास्ता तैयार करो | इस दल को पवित्र वचनों का हवाला ना दिया होता तो वो यूहन्ना को दोषी ठहराते कि उन्होंने अपने हाथ में अधिकार लेकर खुद अपना वचन तैयार किया है | तब वो उन पर धर्मद्रोह का इलज़ाम लगाते | इस लिये यूहन्ना ने बहुत ही नम्रता के साथ पुराने नियम का सबसे निचला दर्जा ले कर यह दावा किया कि वो जंगल में पुकारने वाली एक आवाज़ के सिवाय और कुछ नहीं हैं |

हम सब अपनी दुनिया के जंगल में रहते हैं |हमारे चारों तरफ हंगामा और उपद्रव है | परन्तु परमेश्वर हमारी बेबस दुनिया और उसमें रहने वाले भ्रष्टाचारी लोगों को किसी मददगार के बगैर नहीं छोड़ता | वो मानव जाती का उद्धार करने के लिये आता है | आस्मान से पृथ्वी की ओर उठाया हुआ यह प्रयास बडा अनुग्रह है | पवित्र परमेश्वर हमें नाश नहीं करता,यधपि हम उसी के हकदार होते हैं, बल्की वो हम खोये हुओं को ढूंढता है | उसका प्रेम हमारे दिमाग की समझशक्ती से बाहर है | उसकी आखरी उद्धार्ता में जंगल को हरे भरे बागों में बदल देना शामिल है |

बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने पवित्र आत्मा से यह जान लिया था की परमेश्वर मसीह में होकर हमारी दुनिया में आ रहा है | इस लिये उन्हों ने लोगों को पुकार कर बुलाना शुरू किया की वो होश में आयें और आने वाले के स्वागत के लिये तैयार रहें | मसीह के लिये रास्ता तैयार करने के जोश में हमारी दुनिया के जंगल में यूहन्ना को पुकारने वाले की आवाज़ बना दिया | उन्हों ने अपने आप को भविष्यवक्ता या पैगमबर नहीं कहा बल्की सिर्फ एक आवाज़ कहा | लेकिन इस आवाज़ को परमेश्वर ने अधिकार दिया था ताकी अंत:करण उनके पापों में संतुष्ट होकर न रहें |

यह आवाज़ क्या कह रही थी ? यूहन्ना के सन्देश का सारांश यह था: जागो और जान लो की परमेश्वर का राज्य नज़दीक है | अपनी ज़िंदगियों को सुधारों | परमेश्वर पवित्र है और वो तुम्हारा न्याय करेगा | तुम्हारे हर झूट, चोरी, बुराइयों और पापों के लिये परमेश्वर तुम से हिसाब लेगा और तुम्हें नरक की आग में सज़ा देगा | परमेश्वर हमारे पापों की अनदेखी नहीं करता | हर दुष्ट अपने सारे पापों के साथ उसके सामने दुष्टता की हालत में हाज़िर होगा | और जो लोग बाहर से श्रेष्ट दिखाई देते हैं वे दुष्ट लोगों से बहतर नहीं होंगे क्योंकी उसकी नज़र में कोई भी निरअपराध नहीं है |

बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना की इस मांग की कठोरता हमें खुद अपने अंत:करण को परखने पर मजबूर करती है ताकी हम अपनी दुष्टता को पहचानें , अपने घमंड को कुचल दें और अपने विचार बदल दें | भाइयो ! क्या तुम स्वंयम को श्रेष्ट और परमेश्वर की नज़र में स्वीक्रित समझते हो ? ईमानदारी से अपने अपराध स्वीकार करो | अगर तुम ने किसी का थोड़ा सा भी हक मारा हो तो उसे उसी के सही मालिक को तुरंत लौटा दो | घमंड को अपने पास ना आने दो | परमेश्वर के लिये जियो | अपने टेढ़े चाल चलन को सरल कीजिए क्योंकी तुम ने पाप किया है |

उन अधिकृत प्रतिनिधियों में ज्यादा फरीसी थे | वो बपतिस्मा देने वाले की निर्भीकता पर पागल हो गये थे क्योंकी वे धार्मिकता, पवित्रता, अच्छाई और व्यवस्था का बडी सावधानी और उत्साह से पालन करने का दावा करते थे | परन्तु वे अपने आप को धोका दे रहे थे | वो केवल पवित्रता का बनावटी रूप भरते थे परन्तु उन का अंत:करण विलासी था |उनकी ऑँखों में बुरे चित्रों की झलक दिखाई देती थी और उनके दिल ज़हरीले साँप के बिलों की तरह शत्रुता पूर्ण विचारों से भरे रहते हैं |

उनके कठोर चेहरे यूहन्ना को उन्हें डांटने से और यह याद दिलाने से ना रोक सके कि हम सब को परमेश्वर के पास जाने की सख्त ज़रुरत है | और यह की हम अपने पास जल्दी आने वाले प्रभु का मार्ग तैयार करें |

प्रार्थना: हे प्रभु, आप मेरे दिल, मेरे बीते हुए दिनों और मेरे पापों को जानते हैं | मैं आपके सामने अपने खुले और छिपे हुए अत्याचारों के कारण बहुत लज्जित हूँ | मैं आपके सामने अपनी सब बुराईयों को स्वीकार करता हूँ और आपसे क्षमा की विन्ती करता हूँ | मुझे अपनी उपस्थिती से दुर ना कीजिये | अगर मैं ने किसी का हक मारा हो तो उसे लौटाने में मेरी सहायता कीजिये | और जिस किसी का भी दिल दुखाया हो तो उस से क्षमा माँगने के लिये प्रवृत कीजिये | हे दयालु और करुणशील प्रभु, अपनी दया से मेरे घमंड को कुचल दीजिये और मुझे सब पापों से शुद्ध कीजिये|

प्रश्न:

16. बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने प्रभु का मार्ग तैयार करने के लिये लोगों को किस तरह प्रवृत किया?

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