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Home -- Hindi -- Romans - 055 (The Aggravation of the Offense of the Israelite People)
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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 2 - परमेश्वर की धार्मिकता याकूब की संतानों उनके अपने लोगों की कठोरता के बावजूद निश्चल है। (रोमियो 9:1 - 11:36)
4. परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है, ना कि नियमों का पालन करने के द्वारा (रोमियो 9:30 - 10:21)

ब) इस्रायली लोगों के अपराधों का प्रकोप क्योंकि परमेश्वर अन्य लोगों की अपेक्षा उन पर अधिक दयावान थे (रोमियो 10:4-8)


रोमियो 10:4-8
4 क्‍योंकि हर एक विश्वास करनेवाले के लिये धामिर्कता के निमित मसीह व्यवस्था का अन्‍त है। 5 क्‍योंकि मूसा ने यह लिखा है, कि जो मनुष्य उस धामिर्कता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह इसी कारण जीवित रहेगा। 6 परन्‍तु जो धामिर्कता विश्वास से है, वह यों कहती है, कि तू अपने मन में यह न कहना कि स्‍वर्ग पर कौन चढ़ेगा (अर्थात्‍ मसीह को उतार लाने के लिये!) 7 या गहिराव में कौन उतरेगा? (अर्थात्‍ मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिथे!) 8 परन्‍तु क्‍या कहती है? यह, कि वचन तेरे निकट है, तेरे मुंह में और तेरे मन में है; यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं।

पौलुस प्रमाणित करते है कि नियमों का अंतिम ध्येय यीशु मसीह है क्योंकि यीशु रास्ता, सच और जीवन है| कोई भी उनको छोड़कर पिता के पास नहीं आ सकता (यूहन्ना 14:6)|

यीशु ने परिपूर्णता से नियमों की सभी आवश्यकताओं को पूरा किया था, पूरे ब्योरे सहित, और अनुसरण करने का एक उदाहरण बने| इसीलिए जब हम अपने आप की उनसे तुलना करते है, हम अपने आप को भ्रष्ट पाते है| इसका संबद्ध यहूदी और ईसाई दोनों से है क्योंकि सभी ने अपराध किया है और परमेश्वर की महिमा के लिए कम पड़ते है, क्योंकि सभी में प्रेम और सच्चाई की कमी है (रोमियों 3:23)|

इसी समय, यीशु अपनी क्षतिपूर्ति मृत्यु द्वारा पवित्र परमेश्वर की पूरे जगत के साथ संधि कराते है (2 कुरिन्थियों 5:18-21)| मसीह ने पुराने नियम को पूरी तरह से पूरा किया था, और इसीलिए वह हमारे नए नियम है जिनमे हम अनुग्रह का नियम देखते है| क्योंकि उनकी क्षतिपूर्ति मृत्यु हमारे नये अधिकार की शर्तों को पूरा कर चुकी है, कि हम अनुग्रह द्वारा, अनन्त जीवन को प्राप्त करने की दिशा में, मुक्त न्यायीकरण प्राप्त करे| अतः मसीह हमारी धार्मिकता है (यशायाह 45:24, यिर्मयाह 23:6, 33:16) और जो कोई भी उनकी ओर मुड़ता है, उसका विनाश न होगा|

परमेश्वर मूसा के कानून में कहते है वह जो मेरी आयतों का पालन करता है, जियेगा| परन्तु केवल यीशु के अलावा किसी ने भी, सभी आयतों का पालन नहीं किया| इसीलिए कोई भी उसके स्वयं के सद्गुण द्वारा हमेशा नहीं जीता है| इसीलिए यहूदी, प्रार्थनाओं, सेवाओं, उपवासों द्वारा प्रयास करते है और अपेक्षा करते है परमेश्वर के वादे के अनुसार मसीह को नीचे लाने की, जो उनको परमेश्वर के क्रोध से बचाए| दूसरी ओर, सच्चे मसीहा जो इच्छापूर्वक नीचे आये, के बारे में वे कुछ सुनना या इस बात तक पहुंचना, नहीं चाहते है| स्वर्ग से एक नये मसीह का नीचे आना विश्वास की धार्मिकता के लिए आवश्यक नहीं है न ही एक नये मसीह का मृतकों में से जी उठना आवश्यक है क्योंकि मसीह हमारे लिए आये (लुका 2:11), और मृतको में से जी उठे (मत्ती 28:5,6) और जीवन का वचन अनेकों तक पहुंचा है| सुसमाचार जिसका प्रचार हुआ है मसीह के प्राधिकार से भरपूर है| जो कोई भी इसे सुनता है और विश्वास करता है, अपने हृदय में सुसमाचार की आशीषों को प्राप्त करता है, और जो कोई भी इसे कहता है इसे स्वयं अपने में पाता है| हम जितना जानते है, हम उससे अधिक अमीर है, और इसीलिए इस आध्यत्मिक भोज का एक हिस्सा हमने दूसरों को देना चाहिए, क्योंकि वे अपने आपको विशाल और बलवान समझते है जबकि सच में वे नाशवान है और अपराधों एवं पापों में मृत है|

प्रार्थना: ओ स्वर्गीय पिता, हम आपकी स्तुति करते है क्योंकि आपने अपने इकलौते पुत्र को आपके नियम को पूरा करने के लिए, इस जगत से अपराधों को दूर ले जाने के लिए, और हमारे लिए प्रायश्चित करने के लिए भेजा| क्योंकि उनकी सार्वजानिक क्षतिपूर्ति मृत्यु का आरोप कानून हम पर नहीं लगा सकता| यीशु ने कानून के युग को समाप्त कर दिया है, और हमें अनुग्रह के युग में ले आये है| आमीन|

प्रश्न:

65. पौलुस के आदर्श वाक्यांश “मसीह नियमों का अन्त है” का अर्थ क्या है?
66. क्यों यहूदी उनके मसीहा के आने के इंतजार में है?

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