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Home -- Hindi -- Romans - 047 (The Truth of Christ Guarantees our Fellowship with God)
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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 1: परमेश्वर की धार्मिकता सभी पापियों को दण्ड देती है और मसीह में विश्वासियों का न्याय करती है और पापों से मुक्त करती है। (रोमियों 1:18-8:39)
इ - हमारा विश्वास हमेशा के लिए बनाहुआ (रोमियो 8:28-39)

2. यीशु की सच्चाई हमारी सभी समस्याओं के स्थान पर परमेश्वर के साथ हमारी मित्रता की जमानत है (रोमियो 8:31-39)


रोमियो 8: 31-32
31 सो हम इन बातोंके विषय में क्‍या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है 32 जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा

पौलुस ने हमारे उद्धार और नियतिवाद के लिए परमेश्वर के विचारों की श्रंखला हमारे सामने स्पष्ट की थी कि हम अपनी पंसद के बारे में निश्चित हो सके, इसके बाद आपने एक मुक्तिकारक सत्यों की श्रंखला प्रस्तुत की ताकि हम जान पाये कि परमेश्वर ने इस जगत के उद्धार को व्यवहारिक एतिहासिक घटनाओं पर स्थापित किया है|

पौलुस अपने हृदय में निश्चित एवं अपने दिमाग में बिना चुके आश्वस्त थे कि परमेश्वर उनके दुश्मन नहीं है, परन्तु किंचित उनके विश्वनीय मित्र थे, जो कि चाहे जो भी हो हमेशा आपके अंदर विद्यमान थे| इसके अतिरिक्त उनका विश्वास था कि सर्वशक्तिमान, स्वर्ग और पृथ्वी के सृजनकर्ता, हमारे पिता है| उपदेशक परमेश्वर के प्रेम में निरंतर बने रहे थे, और अपने पूरे जीवन भर, संपूर्ण विश्वास के साथ सर्वशक्तिमान का आदर करते थे| वह सभी बातों को अपने पिता के प्रेम के मार्गदर्शन और उनके रक्षक द्वारा उनकी दैवीय देखभाल के रूप में मानते थे|

पौलुस ने इस पूर्ण आश्वासन को कैसे प्राप्त किया था जो कि अपराधों के पहाड़ों को हिला सका होगा, और अपराधों में मरे हुए लाखो को उठा सका होगा मसीह की सूली आपके लिए परमेश्वर के प्रेम का एक सबूत थी| एक मात्र पवित्र की दयालुता हम सब पर बहती थी, यह आपने सूली पर चढ़े हुए में पहचाना था क्योंकि उन्होंने अपने एक मात्र पुत्र को हमारे द्वेष के लिए दे दिया था कि जो कोई भी उनपर विशवास करे उसका नाश नहीं होगा|

निश्चित ही परमेश्वर ने हमें, जोकि उनके हृदय, उनके स्वर्ग, और उनके पुत्र में आनेवाली महिमा के अवज्ञाकारी एवं अतिक्रामक थे को अपना पुत्र दिया| स्वर्ग में ऐसी कोई आशीष नहीं है जो परमेश्वर ने मसीह में हमें नहीं दी है, क्यो कि उन्होंने, उनमे हमें प्रत्येक चीज दी है| तब तुम्हारी आराधना कहाँ है? तम क्यों नहीं तुंहारा सब कुछ उन्हें दे रहे हो?

रोमियो 8: 33-34
33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है। 34फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा मसीह वह है जो मर गया बरन मुर्दोंमें से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।

तुम सोचते हो कि उद्धार और वादे केवल संतों और महाविश्वसियों के लिए ही है, जब कि तुम स्वयं एक नौसिखिया, असफल, अस्थिर और अस्वच्छ हो| ऐसे ही रहो और तुम्हारे ऊपर परमेश्वर का न्याय सुनो| उन्होंने तुम्हे न्यायसंगत एवं न्यायोचित बनाया, तुम्हारी अच्छाई या सफलता के कारण नहीं, बल्कि इसलिए कि तुमने सूली पर चढे हुए पर विश्वास किया, उनसे जुड गये, और केवल उनसे उद्धार की शक्ति की आशा की|

शायद तुमने कुछ शैतान के लांछन को सुना है कि तुम्हारी ख़ामोशी कारण परमेश्वर की इच्छा है पवित्र आत्मा कहती है “नहीं”| वह तुम्हे परमेश्वर के सोचविचार में सुख देता है तुम्हारी आँखों के सामने सूली पर चढे मसीह को चित्रित करता है, और तुम्हे मृत्यु से उनके पुनर्जीवन की याद दिलाता है ताकि तुम आश्वस्त हो सको कि संधि प्रभावशाली है, और परमेश्वर इसे स्वीकारते हैं| वह अनुग्रह के सिंहासन के सामने तुम्हारे लिए मध्यस्थता करते है और अपने लहू द्वारा तुम्हे धर्मपरायणता के अधिकार में अपना एक भागीदार बनाते है| अतः तुम्हारे पास परमेश्वर के साथ एक वकील है| तुम अकेले नहीं हो, मेरे प्रिय भाई, क्योंकि परमेश्वर की दया तुम्हारे साथ है, और इसका उद्देश्य तुम्हे छुड़ाना है, ना कि तुम्हे बरबाद करना| मसीह तुम्हारे उद्धार के जमानतदार है|

तुम्हे मृत्यु का डर है अब तक, याद करो कि यीशु ने मृत्यु पर विजय पाई और सच में मृत्यु से जी उठे, और उन्होंने हमारी आँखों के सामने परमेश्वर के जीवन को स्पष्ट रूप से प्रकट किया| यदि तुम सुधर चुके हो, उनका सनातन जीवन तुममे प्रवेश करता है| इसका अंत नहीं होगा, क्योंकि परमेश्वर का प्रेम कभी असफल नहीं है| मौत तुम्हे पवित्र त्रयी से अलग नहीं कर सकती|

रोमियो 8: 35-37
35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार 36जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होनेवाली भेंडोंकी नाई गिने गए हैं। 37परन्‍तु इन सब बातोंमें हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़कर हैं।

पौलुस कल्पना करने वाले कवी नहीं थे जब आपने हमें इन श्रंखलाओं और उन बहुत सारी समस्याओं की सफलता जिनका अनुभव आपने किया का उल्लेख किया था| आपने हमें साक्षी दी थी कि हमें मसीह के लिए कष्ट उठाना चाहिए क्योंकि पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा में हमारा विश्वास, हमारी सुरक्षा एवं कल्याण को निश्चित नहीं करता, जैसे तुम मसीह की जीवनी से देख सकते हो| वह पवित्र आत्मा से पैदा हुए, और उन लोगो द्वारा, जिन पर जगत की आत्मा का अधिकार था, सूली पर चढाये गये थे| पौलुस ने गरीबी और अमीरी, बीमारी, कमजोरी, खतरे और अत्याचार प्रतिकूल भाइयों, और डूबने के खतरे का अनुभव किया था| यह सभी बातें उनके लिए महत्वहीन थी, क्योंकि वे मसीह के प्रेम और ईश्वरीय कृपा को जानते थे, जिसे वे निराशा के किसी भी प्रलोभन से श्रेष्ठ मानते थे| अतः तुम्हारा विश्वास, तुम्हारी बहुत बड़ी कठिनाई, ऐसे जैसे तुम्हारे मृत्यु के समय भी, विजय रूप में दिखाई देगा क्योंकि पवित्र आत्मा तुम्हारे विश्वास को उस हद तक बढता है जब तक कि तुम बदल ना जाओ, और विनम्रता, विश्वास एवं कठिनाइयों में स्तुति करना सिखाने के लिए परमेश्वर की पाठशाला में प्रवेश न कर लो| तब तुम परमेश्वर का मेमना, मसीह के पदचिन्हों पर चलने वाले बन जाओगे| तुम अपनी प्रतिष्ठा और अहंकरीपन को समाप्त कर, हरएक बात बिना किसी शिकायत के सहन कर लोगे| तुम तुम्हारे पड़ोसियों के चोट पहुँचाने वाले वाक्यों को महत्व नहीं देते परन्तु तुम तुम्हारे परमेश्वर की शक्ति में उल्लास, प्रतीक्षा और धीरज रखते हो|

सभी समस्याएं और प्रलोभन हमें यीशु से अलग नहीं कर सकते, क्योंकि समस्याएं हमें सिखाती है कि हम वचन की ओर ध्यान दे| तब हम हमारे प्रभु यीशु को बहुत चाहते है, जो हमसे पहले पिता के पास है| वह हमें समझते है, और हमें छोड़ नहीं देते, परन्तु हमारा साथ देते है और शक्ति देते है ताकि हम उनके महान प्रेम को देख पाये और चिंतन मनन, धन्यवादता एवं दयालुता के साथ उनका आदर कर पाये| मसीह का प्रेम हमें महिमामयी विजय की ओर ले जाता है, और हम कठिनाईयों और आंसुओं के बीच में हर्षोल्लास से सेवा करते है|

प्रार्थना: ओ पवित्र परमेश्वर आप मेरे पिता और आपके पुत्र मेरे मध्यस्थी है, आज और अन्तिम न्याय में पवित्र आत्मा मुझमे निवास करे और मुझे सुख दे| मै आपकी स्तुति करता हूँ, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा जो प्रेम है| मेरा विश्वास है कि मै नहीं मरूँगा क्योंकि आप मुझे घेरे हुए हो, मुझे सुरक्षित रखे हुए और मेरा नवीनीकरण किये हुए हो| ओ परमेश्वर मुझे सभी प्रलोभनों से दूर रखो ताकि कोई अपराध मुझे आपसे अलग न कर पाये, और यह कि मेरा प्रेम, इस जगत के सभी महापुरुषों के प्रेम के साथ, कभी हिल न पाये|

प्रश्न:

51. किस प्रकार से ईसाई धर्मी, कठिनाइयों पर विजयी होते है?

www.Waters-of-Life.net

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